कुल्लू दशहरा: सजने लगा भगवान रघुनाथ का दरबार…

हिमाचल प्रदेश। 15 से 21 अक्टूबर तक होने वाले हिमाचल प्रदेश के कुल्लू दशहरा के लिए भगवान रघुनाथ का दरबार सजना शुरू हो गया है। दशहरा में उनके स्थायी शिविर पर आने-जाने वालों पर सीसीटीवी कैमरे से नजर रहेगी। शिविर को चारों ओर से लाइट से सजाया जा रहा है। हालांकि दशहरा में लगातार दूसरे वर्ष कोरोना के चलते व्यापार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर रोक लगाई है। बावजूद दशहरा के स्वरूप को बनाए रखने के लिए ढालपुर को खास तरह से सजाया जा रहा है। कलाकेंद्र से लेकर ढालपुर की सभी सड़कों और मुख्य संस्थानों को रंग-बिरंगी लाइटों से रोशन किया जा रहा है। इसके लिए ढालपुर की मुख्य सड़क के अलावा ढालपुर से वाया पुलिस अधीक्षक, उपायुक्त कार्यालय से होकर आने वाली सड़क पर लाइटों के साथ लड़ियों को लगाया गया है। कुछ जगहों को रंग रोगन से नया रंग रूप दिया जा रहा है। वहीं दशहरा उत्सव में मुख्य सड़क को ट्रैफिक को बंद किया जाएगा और वाहनों को वाया डीसी कार्यालय और क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू से होकर गुजरने वाली सड़क से होकर भेजा जाएगा। ढालपुर में लगाए एलईडी बल्ब से दशहरा दुधिया रोशनी से जगमगाएगा। भगवान रघुनाथ के अस्थायी शिविर को भी विशेष रूप से सजाया गया है। इसके चारों तरफ जगमगाती लाइटों के साथ यहां सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाएगी। इसके अलावा यहां पुलिस का भी कड़ा पहरा रहेगा। दशहरा में हर देवता के आसपास पुलिस के जवान तैनात किए जाएंगे। पुलिस अधीक्षक कुल्लू गुरदेव शर्मा ने कहा कि सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग ने कहा कि दशहरा उत्सव में किसी तरह की कमी न रहे इसके लिए संबंधित विभागों को उचित निर्देश दिए गए हैं। 15 अक्तूबर से शुरू होने वाले कुल्लू दशहरा के लिए जिले के देवी-देवता मंदिरों से रवाना हो गए हैं। बुधवार को जिले भर से करीब 50 से अधिक देवरथ कुल्लू के लिए कूच कर गए हैं। बालू नाग के साथ मनु ऋषि, चोतरू नाग, टकरासी नाग, कोट पझारी और पुंडरिक ऋषि ढोल-नगाड़ों के साथ निकले। देवता 14 अक्तूबर की शाम को ढालपुर स्थित अस्थायी शिविरों में पहुंचेंगे। जिला के बाह्य सराज आनी-निरमंड के अलावा सैंज, गड़सा, बजौरा, मणिकर्ण व मनाली आदि देवी-देवताओं की रथयात्रा शुरू हो गई है। जबकि खुड़ीजल और देवता श्रृंगा ऋषि सहित करीब एक दर्जन देवी-देवता 12 अक्तूबर से आना शुरू हो गए हैं। 150 ये 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाह्य सराज के देवता खुड़ीजल, ब्यास ऋषि, कोट पझारी, टकरासी नाग, चोतरू नाग ने बंजार घाटी में प्रवेश कर लिया है। सोने-चांदी के मुख मोहरों से सजे देवी-देवताओं के रथ सबके लिए आकर्षण का केंद्र रहते हैं। जिला देवी-देवता कारदार संघ के महासचिव नारायण चौहान, कारदार भागे राम राणा और कारदार शेर सिंह ने कहा कि जिले भर के देवता कुल्लू के लिए निकल पड़े हैं। वीरवार देर शाम तक 150 से अधिक देवी-देवता अस्थायी शिविरों में पहुंच जाएंगे।

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