भारतीय सोच की परिचायक है नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति: राज्यपाल

हिमाचल प्रदेश। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय सोच, संस्कृति, इतिहास और मूल्यों को आगे बढ़ाने वाली है। जिसमें हम सब को योगदान देना है, ताकि यह राष्ट्र पुन: विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठापित हो सके। राज्यपाल विश्वनाथ अर्लेकर ने केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से बुधवार को आयोजित संगोष्ठी में यह बात कही। शिक्षा का भारतीय स्वरूप विषय पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमें मूल रूप से किस दिशा में आगे बढ़ना है, इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सोच हमें दुनिया में अलग पहचान देती है। मैकाले की गुलाम बनाने की शिक्षा नीति से क्या हम बाहर निकल पाएंगे। केवल नई शिक्षा नीति हमें इसमें मदद कर सकती है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि दुनिया ने मॉडल ऑफ कलेक्टिविटी दी, जबकि हमारी संस्कृति ने इंटेग्रिटी का मॉडल दिया। उन्होंने कहा कि हमारी सोच में देश प्रेम प्रथम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए जितने भी संघर्ष हुए, वे एक ही नारे पर लड़े गए कि ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’, वह रोटी, कपड़ा, मकान के नारों पर केंद्रित नहीं था। विशिष्ट अतिथि प्रो. नागेश ठाकुर ने कहा कि हर राष्ट्र की अपनी संस्कृति, परंपराएं और आत्मा होती है। उसी प्रकार हर राष्ट्र की अपनी शिक्षा नीति भी होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूरे राष्ट्र की शिक्षा नीति है। इससे पूर्व केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी बंसल ने राज्यपाल को सम्मानित तथा स्वागत किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के संशोधित लोगो और जैविक विज्ञान संकाय की शोध पत्रिका का विमोचन भी किया। इस दौरान हिमालयन वेलफेयर फाउंडेशन के फाउंडर डायरेक्टर नवनीत गुलेरिया, हिमालय परिवार के महासचिव ऋषि वालिया, उपायुक्त निपुण जिंदल, पुलिस अधीक्षक खुशहाल शर्मा मौजूद रहे।

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