स्वतंत्रता सेनानी कालू सिंह माहरा के सम्मान में डाक विभाग ने जारी किया लिफाफा

उत्तराखंड। पिथौरागढ़ के प्रधान डाकघर में उत्तराखंड के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कालू सिंह माहरा के सम्मान में डाक विभाग ने विशेष आवरण (लिफाफा) जारी किया। लिफाफे पर कालू सिंह माहरा का चित्र अंकित है। ये लिफाफा देशभर के डाकघरों और ई पोस्ट ऑफिसों के माध्यम से सभी फिलेटली ब्यूरो (संग्रहालयों) में बिकेंगे। आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम और डाक टिकट दिवस के अवसर पर डाकघर में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कालू सिंह माहरा के प्रपौत्र विजय सिंह माहरा थे। डाक अधीक्षक ललित जोशी ने इस मौके पर स्वतंत्रता आंदोलन में कालू सिंह माहरा के योगदान के बारे में बताया। डाक निरीक्षक बृजमोहन ऐरी ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम में प्रधान डाकघर के पोस्टमास्टर जीएस ढकरियाल, मुकेश त्रिपाठी, मनोज पुनेठा, गोविंद खाती, विद्या गिरि, गीतिका चलाल, मयंक पांडेय, और प्रणव जोशी मौजूद रहे। कुमाऊं का स्वाधीनता संग्राम में योगदान पत्रिका के मुताबिक काली कुमाऊं में गदर में शिरकत के लिए कालू माहरा के नेतृत्व में चौड़ापिता के बोरा, रैघों के बैड़वाल, रौलमेल के लडवाल, चकोट के क्वाल, धौनी, मौनी, करायत, देव, बोरा, फर्त्याल एकत्र हुए थे। इन लड़ाकों ने लोहाघाट की बैरक में आग लगाकर अंग्रेजों को भगाया था। कमिश्नर रैमजे ने टनकपुर और लोहाघाट से सैन्य टुकड़ी भेज इन आंदोलनकारियों को रोका। बस्टिया में कालू माहरा ने अंग्रेजों का जमकर मुकाबला किया, लेकिन उन्हें पीछे हटना पड़ा। कूर्मांचल केसरी बद्री दत्त पांडेय का कहना है कि कालू को कई जेलों में रखा गया। इसी दौरान दो अन्य क्रांतिकारियों आनंद सिंह फर्त्याल और बिशन सिंह करायत को अंग्रेजों ने गोली मार दी थी। भले ही कालू माहरा को सेनानी नहीं माना गया है, लेकिन लोग उन्हें आजादी का महानायक मानते हैं और उनसे संबंधित कार्यक्रम चंपावत जिले में होते रहे हैं। वर्ष 1997 में खेतीखान में कार्यक्रम हुआ। वर्ष 2004 में इतिहासकार डॉ. शेखर पाठक सहित कई दिग्गजों की मौजूदगी में व्याख्यानमाला हुई। वर्ष 2007 में उनके पैतृक आवास से पावन माटी कार्यक्रम हुआ। वर्ष 2010 में तत्कालीन डीएम की मौजूदगी में उनके नाम पर लोहाघाट चौराहे का नाम रखा गया।

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