नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि नजदीक आ रही है। करदाताओं के लिए रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2021 है। ऐसे में करदाताओं को आईटीआर भरने से पहले अपने आय, निवेश और बचत से जुड़ी गणनाएं जरूर करनी चाहिए। करदाताओं के लिए 80सी टैक्स बचाने का आयकर कानून की सबसे लोकप्रिय और पसंदीदा धारा है। दरअसल 80सी के तहत करदाताओं को अपने कुछ खर्चों और निवेश पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है। अगर आप निवेश की योजना अच्छी तरह से बनाते हैं तो सालाना 1.5 लाख रुपये तक छूट का दावा कर सकते हैं। लॉकइन पीरियड पर दें ध्यान:- धारा 80सी के तहत कुछ डिडक्शन लॉकइन अवधि के अंतर्गत आते हैं। एफडी में 5 साल और इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम में 3 साल का लॉकइन पीरियड होता है। अगर करदाता लॉकइन पीरियड के नियमों का उल्लंघन करता है तो आय को उस वित्त वर्ष के लिए करदाता की कमाई मानकर टैक्स लगता है। ट्यूशन या स्कूल फीस की गणना जरूर करें:- अगर करदाता स्कूल या ट्यूशन फीस के लिए डिडक्शन क्लेम करता है तो उसे पहले कुछ प्रावधानों को समझना होगा। करदाता अधिकतम दो बच्चों के लिए फुल टाइम शिक्षा के लिए दी गई फीस पर क्लेम कर सकता है। कंप्लीट फीस के केवल ट्यूशन फीस वाले हिस्से पर ही क्लेम हो सकता है। इसलिए क्लेम करने से पहले फीस खर्च की गणना जरूर करनी चाहिए। एंडोमेंट प्लान में बहुत अधिक निवेश से बचें:- एंडोमेंट प्लान टैक्स बचत व निवेश के लिए अच्छे हैं। हालांकि, कमाई का बड़ा हिस्सा इसमें निवेश करने से अच्छा रिटर्न नहीं मिलेगा। इसलिए ज्यादा बचत के लिए टर्म प्लान में निवेश करें, जिस पर छूट मिलती है। होम लोन पुनर्भुगतान:- करदाता 80सी के तहत किसी भी तरह के होम लोन के पुनर्भुगतान पर क्लेम करते हैं, लेकिन यह समझने की जरूरत है कि निजी लोन (मित्रों-रिश्तेदारों से लिया लोन) की प्रिंसिपल राशि 80सी के तहत कवर नहीं होती है। क्लेम के लिए बैंक, कोऑपरेटिव बैंक, नेशनल हाउसिंग बैंक, आदि से लोन लेना जरूरी है। रजिस्ट्रेशन स्टाम्प ड्यूटी पर क्लेम:- 80सी के तहत स्टाम्प ड्यूटी, एनरोलमेंट फीस और कुछ अन्य खर्च जो सीधे रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी के ट्रांसफर से जुड़े हैं, उन पर क्लेम कर सकते हैं। कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए इन खर्चों पर 80सी के तहत क्लेम संभव नहीं है। जल्दबाजी में न लगाएं पैसा:- टैक्स बचाने के लालच में जल्दबाजी में निवेश नहीं करना चाहिए। इससे गलत निवेश निर्णय लेने की आशंका ज्यादा होती है। इसलिए समझकर पैसा लगाएं और कभी भी सिर्फ टैक्स बचाने के लिए निवेश न करें।