जम्मू-कश्मीर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद अपनी पहली रैली में जम्मू कार्ड खेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन जम्मू-कश्मीर को धार देने की कोशिश की। उन्होंने 370 हटने के फायदे गिनाते हुए राजनीतिक विरासत को और मजबूत करने के लिए सिलसिलेवार कई दांव खेले। कश्मीर केंद्रित पार्टियों व तीन परिवारों को जम्मू के साथ भेदभाव तथा अन्याय के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए भावनाओं को कुरेदकर जम्मू की जनता को और करीब करने की कोशिश की। नेकां, पीडीपी व कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी का भी प्रयास किया। अनुसूचित जनजाति को राजनीतिक आरक्षण और वन अधिकार की वकालत कर गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाने का प्रयास किया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार गृह मंत्री ने लोगों के मिजाज को भांपते हुए सबसे पहले उनकी दुखती रग पर हाथ डाला। लंबे समय से भेदभाव की आवाज जम्मू के लोग उठाते रहे हैं। उन्हें समझाने की कोशिश की कि 370 की वजह से ही उनके साथ भेदभाव तथा अन्याय हो रहा था। कश्मीर केंद्रित पार्टियों ने कभी जम्मू की चिंता नहीं की। अब 370 हटने से सबकुछ ठीक हो गया है। जम्मू के साथ भेदभाव व अन्याय बीते दिनों की बात हो गई है। अब कोई उनका हक नहीं छिन पाएगा। कश्मीर की तरह ही यहां के लोगों को अवसर मिलेंगे। हक मिलेगा। विश्लेषकों का कहना है कि गृह मंत्री ने विकास तथा रोजगार के अवसरों से नाता जोड़कर युवाओं को साधा। इतना ही नहीं रिफ्यूजियों, गोरखा समाज, वाल्मीकि समाज, महिलाओं, सीमांत क्षेत्र के लोगों को भी साधने से नहीं चूके। बताया कि इन सभी समुदाय के लोगों को मोदी सरकार ने हक-हकूक दिया है। पिछली किसी भी सरकार ने इनकी चिंता नहीं की। विश्लेषक और केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के डा. बच्चा बाबू का कहना है कि अमित शाह ने अपनी रैली में अनुच्छेद 370 हटने के फायदे से लोगों को रूबरू कराया। यह बताने की कोशिश की कि 370 जम्मू-कश्मीर के विकास में बाधक था।इसकी वजह से यहां निवेश नहीं हो पा रहा था। अब विकास के द्वार खुल गए हैं। निवेश होने लगा है। रोजगार के अवसर मिलने लगे हैं। युवाओं का सकारात्मक दिशा में इस्तेमाल कर प्रदेश खुशहाली के रास्ते पर बढ़ चला है। कुल मिलाकर उन्होंने विकास से जम्मू-कश्मीर की तस्वीर बदलने की बात की है।