उत्तराखंड में तीन वर्ष से जमे अधिकारियों और कर्मचारियों को हटाने का आदेश हुआ जारी

उत्तराखंड। आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर तीन साल से जमे अधिकारी-कर्मचारियों को हटाने के आदेश जारी हो गए हैं। मुख्य सचिव ने इस संबंध में सभी विभागों के प्रमुखों को पत्र भेजा है। तबादलों की यह कार्रवाई पूरी करके 15 दिसंबर तक मुख्य निर्वाचन अधिकारी को रिपोर्ट भेजनी होगी। मुख्य सचिव ने जारी किए आदेश:- मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधूू की ओर से जारी आदेशों के मुताबिक उत्तराखंड सरकार का कार्यकाल 23 मार्च को पूरा होने जा रहा है। इससे पहले विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके लिए केंद्रीय चुनाव आयोग से दिशा-निर्देश मिले हैं। इसके आधार पर मुख्य सचिव ने कहा है कि अगर कोई अधिकारी गृृह जनपद में तैनात है या 31 मार्च 2022 या इससे पहले तीन साल तक एक ही जगत तैनात है तो उसे वहां से हटाना होगा। तीन वर्ष की सेवा अवधि की गणना करते समय जिले के अंतर्गत किसी पद पर पदोन्नति की गणना भी की जाएगी। इसके तहत जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारी, उप जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग ऑफिसर, सहायक रिटर्निंग ऑफिसर, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, निर्वाचन से संबंधित नोडल आफिसर, अपर जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी, डिप्टी कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर, तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी, पुलिस आईजी, डीआईजी, कमांडेंट, एसएसपी, एसपी, एडिशनल एसपी, एसएचओ, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर का तबादला करना होगा। अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी छह माह के भीतर रिटायर होने वाला है तो उसके लिए यह नियम लागू नहीं होगा। न ही ऐसे कर्मचारी को चुुनाव ड्यूटी में लगाया जाएगा। मुख्य सचिव के मुताबिक, 15 दिसंबर तक तबादलों की प्रक्रिया पूरी करने के बाद रिपोर्ट मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजनी होगी। इसके बाद जो भी तबादले होंगे, उसके लिए आयोग की स्वीकृति अनिवार्य होगी। इनको तबादलों से छूट:- ऐसे अधिकारी या कर्मचारी जो चुनाव से सीधे संबंधित नहीं हैं। जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, प्रधानाचार्य आदि। हालांकि अगर किसी सरकार के विरुद्ध राजैनिक पूर्वाग्रह है तो जांच में सिद्ध पाए जाने पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी को न केवल सिफारिश की जा सकती है बल्कि उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है। निर्वाचन ड्यूटी में सेक्टर ऑफिसर, जोनल मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त अधिकारी इसके दायरे में नहीं आएंगे लेकिन उनके आचरण की कड़ी निगरानी की जाएगी। ऐसे अधिकारी जिनके खिलाफ न्यायालय में कोई वाद लंबित है, वह चुनाव ड्यूटी में नहीं लगेंगे।

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