श्रीलक्ष्मीनारायण भगवान की आराधना करने से पापों का होता है नाश: दिव्य मोरारी बापू
राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि रूपचतुर्दशी, नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती, छोटी दीवाली। आज कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करके देवताओं और ऋषियों को उसके आतंक से मुक्ति दिलवाया था। इसलिये इसे नरक चतुर्दशी कहते हैं। भक्तों ने खुशी में दीप जलाये, इसलिये तबसे ऐसी परंपरा है कि हम चतुर्दशी के दिन भगवान की पूजा करके थोड़े दीप जलाते हैं। इसलिये इसको छोटी दिवाली भी कहते हैं। आज के दिन भगवान श्रीराधा कृष्ण की पूजा आराधना करने से अभय की प्राप्ति होती है। रूप चौदस मनाने के पीछे कारण है। कहते हैं! इस दिन तिल के तेल से मालिश करके स्नान करने से भगवान श्रीकृष्ण रूप और सौंदर्य प्रदान करते हैं। मानव जीवन में कुरूपता क्या है? आध्यात्मिक दृष्टि से पाप ही कुरूपता है। पाप नष्ट हो जायें और जीवन में सत्कर्मों के द्वारा पुण्य की प्राप्ति हो, यही कुरूपता से छुटकारा और सुंदर रूप की प्राप्ति है। रूप चौदस के दिन भगवान राधाकृष्ण, श्रीहनुमानजी, श्रीगणेशजी महाराज, श्रीलक्ष्मीनारायण भगवान की आराधना उपासना करने से जीवन के पापों का नाश होता है और अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। रूप चौदस के दिन प्रातःकाल तिल का तेल लगाकर, अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नर्क जाने से मुक्ति मिल जाती है। जीवन में जाने, अनजाने में कुछ ऐसा हुआ कि नर्क जाना पड़ेगा, लेकिन अगर नरक चौदस के दिन का ये विधान किया जाय, तो शास्त्रों में वर्णन है कि उसका वह दंड माफ हो जायेगा और उसको नर्क नहीं जाना पड़ेगा। श्री हनुमान जी के प्रकट की कथा पुराणों में दो तिथियों पर आयी है। प्रथम कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी एवं दूसरा चैत्र पूर्णिमा है। किसी कल्प में श्रीहनुमानजी महाराज का प्रादुर्भाव कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी के दिन हुआ है। पूरा उत्तर भारत श्री हनुमान जी का प्राकट्य उत्सव इसी दिन मनाता है। किसी कल्प में चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती, चैत्र पूर्णिमा के दिन प्रादुर्भाव हुआ है। राजस्थान और बहुत क्षेत्र हैं जहां चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनायी जाती है। अतः कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी के दिन हनुमान जी महाराज का उत्सव-महोत्सव मनाने से समस्त कार्य सिद्ध हो जाते हैं। क्योंकि आज हनुमान जयंती है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।