नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह कोविड-19 से लड़ाई के दौरान निजी क्लिनिकों, डिस्पेंसरी और गैर अनुमोदित अस्पतालों में काम करते हुए जान गंवाने वाले निजी डॉक्टरों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड बीमा योजना में शामिल करने से संबंधित विवाद सुलझाए। इस योजना के तहत जान गंवाने वालों के परिजनों को 50 लाख रुपये की बीमा राशि मिलती है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ ने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, आपको ये मुद्दा सुलझाना होगा। आप बीमा कंपनियों के साथ बैठें क्योंकि इसमें नकद मुआवजा देने की बात है, और स्वास्थ्य विभाग के संबंधित अधिकारी समाधान निकालें। केंद्र की नीति का अंतिम लक्ष्य जनता का कल्याण है और इसे सेलेक्टिव नहीं होना चाहिए। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कोविड महामारी की शुरूआत में स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए इस बीमा योजना की शुरुआत की थी लेकिन निजी डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी इससे बाहर थे। कोविड का इलाज करते हुए जान गंवाने वाले ऐसे कई स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।