क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों के बाद संभव होगी वैक्सीन की तीसरी डोज

नई दिल्ली। कुछ महीनों तक कोरोना वायरस की रफ्तार कुंद पड़ने के बाद अब कई यूरोपीय देशों में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। भारत में भी कई राज्यों में ये आंकड़ा बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इस बीच कई देशों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बूस्टर यानी वैक्सीन की तीसरी डोज लगाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। हाल ही में बूस्टर डोज को लेकर आई रिपोर्ट में सामने आया है कि दुनियाभर के 36 देश बूस्टर खुराक दे रहे हैं। इसकी शुरुआत जर्मनी, आस्ट्रेलिया, कनाडा और फ्रांस में की गई थी। भारत के भी कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद बूस्टर डोज की जरूरत महसूस होने लगी है। ऐसे में भारत ने भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। भारत जल्द ही कोविड-19 वैक्सीन की बूस्टर खुराक (तीसरी खुराक) देने पर एक नीति दस्तावेज जारी करेगा। इसे लेकर नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन पॉलिसी बनाने पर काम कर रहा है। नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन ही कोरोना वैक्सीन पर सरकार को सलाह देती है, फिर चाहे वो वैक्सीन की दो डोज के बीच गैप को लेकर हो या दिनों का निर्धारण। बूस्टर डोज को लेकर भी ये ग्रुप सरकार को राय देगा। जानकारी के मुताबिक ये पॉलिसी अगले दो से तीन महीने में तैयार की जाएगी। फिलहाल तीसरी वैक्सीन डोज यानी बूस्टर डोज के क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों पर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन का एनालिसिस चल रहा है, इस पर फैसला होने के बाद ही कोई पॉलिसी बनाई जाएगी। इधर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में बूस्टर डोज की जरुरत है या नहीं, इसके लिए पहले पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध कराने होंगे और उसके बाद उन आंकड़ों की निगरानी करनी होगी। यह देखना होगा कि जिन्हें संक्रमण हुआ था क्या उन्हें दोबारा संक्रमण हो रहा है और यदि हो रहा है तो बीमारी कितनी गंभीर हो रही है। यदि हल्के लक्षण दिख रहे हों तो यह भी देखना होगा कि वैक्सीन की बूस्टर डोज देने से फायदा ज्यादा है या रिस्क। इन सभी बातों का वैज्ञानिक तरीके से आकलन करने के बाद ही कोरोना संक्रमण के मामले में बूस्टर डोज देने का निर्णय लेना चाहिये।

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