मनुष्य को ईश्वर की करनी चाहिए आराधना: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। गुलाब बाबा की धूनी, देव दरबार का पावन स्थल, परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य एवं उत्तम व्यवस्था में सभी भक्तों के स्नेह और सहयोग सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा के षष्ठम दिवस भागवत कथा वक्ता राष्ट्रीय संत श्री-श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि मानव जीवनी का परम लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति है, पितामह ब्रह्मा ने सृष्टि करना प्रारंभ किया। जिस किसी की सृष्टि करते सब दो ही प्रश्न करते थे। कहां रहूँ और क्या खाऊं? मानव सृष्टि के पहले ब्रह्मा जी ने जिस भी जीव की सृष्टि किया उनके दो ही प्रश्न थे। ब्रह्मा जी सबको स्थान और सब का भोजन भी निश्चित करते गये। लेकिन इतनी विशाल सृष्टि करने के बाद भी पितामह ब्रह्मा को संतोष नहीं हुआ। सबसे आखरी में पितामह ब्रह्मा ने मनुष्य की सृष्टि किये। लेकिन मनुष्य ने वह पुराना प्रश्न नहीं दोहराया। मनुष्य ने भी दो प्रश्न किया, मैं कौन हूं? और मुझे किस लिये पैदा किया गया? ब्रह्मा जी की सृष्टि में मनुष्य सृष्टि सबसे श्रेष्ठ है और आखरी सृष्टि है। इसके बाद ब्रह्मा जी ने किसी को उत्पन्न नहीं किया। मनुष्य की सृष्टि करके ब्रह्मा जी को परम संतोष प्राप्त हुआ। मनुष्य शरीर पाकर तीन काम करना चाहिए। जगत की सेवा, ईश्वर की आराधना और स्वयं अपने जीवन का अनुसंधान। अगर जीवन में कुछ दोष है तो उसका निवारण और जीवन में किसी सद्गुण की अनिवार्यता दिखाई पड़ रही है तो उसका संग्रह। जग की सेवा खोज अपनी, प्रीति प्रभु सों कीजिए। जिंदगी का राज है ये जानकर जी लीजिए। बुद्धिमान मनुष्य वही है जो अपने जीवन में पुण्य का संग्रह करता रहता है। निरंतर पापों से बचता है, क्योंकि सभी दुःखों का मूल पाप है और सभी सुखों का मूल पुण्य है। महारास, कंस का उद्धार, उधौ- गोपी संवाद, श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह की कथा का गान किया गया। और भगवान का विवाह उत्सव धूमधाम से मनाया गया। कल की कथा में भक्त सुदामा की कथा का गान किया जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *