अहंकार हमें लोगों से कर देता है अलग: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि हम ऐसे रुग्ण समाज में जी रहे हैं जहां अहंकार, स्वार्थ और भौतिक सुख सुविधा को ही महत्व दिया जाता है। ऐसे समाज से हम कैसा सम्बन्ध रखें? यह संसार अनेक विचित्रताओं और विसंगतियों का समूह है। विश्ववन्द्य वैष्णव-कुलभूषण परम पूज्य संत गोस्वामी श्री तुलसी दास जी महाराज ने कहा है की तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग। सबसे हिल मिल चालिये, नदी-नाव संजोग। तीन बातें याद रखो- सभी परिस्थितियां अपने अनुकूल ही हों यह जरूरी नहीं। सभी व्यक्ति अपने अनुकूल ही हों यह नहीं हो सकता और सभी वस्तु अपने अनुकूल ही हों यह असंभव है। अतः परिस्थिति, व्यक्ति और वस्तु को देखते हुए अपने विवेक का सदुपयोग करते हुए हमें व्यवहार करना चाहिए, अतः तीन बातों का ध्यान रखो- सजग बनोः अपने विवेक के प्रकाश में देखते रहो, कोई तुम्हारा उपयोग भले ही करे, दुरुपयोग न करे। सरल बनो, लेकिन सस्ते न बनो। सरल बनोः अहंकार गिराता है, लोगों से हमें अलग कर देता है, सरलता सबसे जोड़ती है, सद्भाव को बढ़ाती है। सहज बनोः बिना सहजता की सरलता अभिनय बन जायेगी। बालक की तरह सहज बनेंगे, तो व्यवहार बोझ नहीं बनेगा, थकेंगे नहीं और प्रसन्न रहेंगे। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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