लोकसभा में सहायता प्राप्त प्रौद्योगिकी विनियमन बिल हुआ पारित

नई दिल्ली। सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) उद्योग में महिलाओं को शोषण से बचाने और मनमानी पर लगाम लगाने के लिए लोकसभा में सहायता प्राप्त प्रौद्योगिकी विनियमन बिल पारित कर दिया गया। बिल में एआरटी सेवा से जुड़े सभी पक्षों को कानून के दायरे में लाने, हर एआरटी क्लिनिक और ‘एग-स्पर्म बैंक’ का पंजीकरण अनिवार्य करने का प्रावधान है। नियमों के उल्लंघन पर पांच से बारह साल तक की जेल और पांच लाख से 25 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। बिल पेश करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि प्रजनन उपचार ने देश में बड़े उद्योग का रूप ले लिया है। देश में काफी ऐसे क्लीनिक चल रहे हैं, जो कृत्रिम गर्भाधान (आईवीएफ) सहित सहायक प्रजनन तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। यह विधेयक इन्हीं के नियमन के लिये लाया गया है। ऐसी तकनीक में इंजेक्शन देना पड़ता ह, जिससे महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा भ्रूण हस्तांतरण और भ्रूण बैंकिंग के लिये भी व्यवस्था बनाने की जरूरत थी। बिल का उद्देश्य इस सेवा को कानून के दायरे में लाना है।

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