भूलकर भी घर में न रखें भगवान गणेश की ऐसी मूर्ति…
वास्तु। धार्मिक ग्रंथो में भगवान गणेश को सभी देवों में प्रथम पूजनीय बताया गया है। इसलिए किसी भी मांगलिक और शुभ कार्य में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश का पूजन करने से सभी विघ्न और बाधाएं समाप्त हो जाते हैं। जहां भगवान गणेश का वास होता है, वहां पर रिद्धि, सिद्धि, शुभ और लाभ का वास भी होता है। वास्तु में भी भगवान गणेश की प्रतिमा घर में रखना बहुत शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार भगवान गणेश की प्रतिमा रखने से घर में सकारात्मकता बनी रहती है लेकिन गणेश जी की मूर्ति रखने के संबंधी कुछ नियम बताए गए हैं। वास्तु के अनुसार, गणेश जी की प्रतिमा घर में रखते समय यदि कुछ बातों को ध्यान में न रखा जाए तो आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। वास्तु के अनुसार, गणेश जी की प्रतिमा रखते समय रखें इन बातों का ध्यान- वास्तु के अनुसार घर में भगवान गणेश दो से अधिक प्रतिमाएं रखी जा सकती हैं लेकिन उन्हें एक ही स्थान पर न रखें। भगवान गणेश की ऐसी प्रतिमा नहीं लानी चाहिए जिसमें उनकी सूंड दांयी तरफ हो, क्योंकि दांयी तरफ की सूंड वाले गणपति जी की पूजा के विशेष नियम होते हैं। गणेश जी की प्रतिमा द्वार पर लगाने से घर में सकारात्मकता आती हैं लेकिन ध्यान रखें, प्रतिमा को इस तरह लगाएं कि गणेश जी की पीठ दिखाई न दे। मुख्य द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा का मुख हमेशा बाहर की ओर होना चाहिए। यदि दो प्रतिमा हैं तो एक का मुख बाहर और एक का मुख भीतर की ओर रखा जा सकता है। घर के पूजा स्थान में यदि गणपति जी की प्रतिमा रखी है तो वह ज्यादा बड़ी नहीं होनी चाहिए। घर में हमेशा छोटी प्रतिमा ही रखनी चाहिए। घर के लिविंग रूम में भूलकर भी गणेश जी की प्रतिमा नहीं लगानी चाहिए और साथ ही कभी सीढ़ियों के नीचे वाले स्थान पर भी गणपति जी नहीं रखना चाहिए। गणेश जी का पूजन लक्ष्मी जी के साथ होता है, लेकिन लक्ष्मी जी की प्रतिमा हमेशा गणेश जी की दाहिनी ओर रखनी चाहिए। यदि आपके घर में गणेश जी की प्रतिमा है तो प्रतिदिन धूप-दीप अवश्य दिखाना चाहिए, यह बात सभी देवी-देवताओं की प्रतिमा घर में रखने पर लागू होती है। यदि पूजाघर हो तो नियमित रूप से धूप-दीप अवश्य जलाएं, वास्तु कहता है कि इससे घर का वातावरण सकारात्मक बना रहता है।