नई दिल्ली। शार्क मछली कोविड से लड़ने में मददगार हो सकती है। वहीं विज्ञानियों ने पता लगाया है कि शार्क के इम्यून सिस्टम में मौजूद एंटीबाडीज जैसे प्रोटीन कोविड उत्पन्न करने वाले वायरस को रोक सकते हैं। वहीं वीएनएआर नामक यह प्रोटीन आकार में मानव एंटीबाडीज से बहुत छोटे हैं। यह इतने सूक्ष्म होते हैं कि उन स्थानों में भी प्रवेश कर सकते हैं, जहां मानव एंटीबाडीज नहीं पहुंच सकतीं। वहीं अमेरिका में विस्कोंसिन-मेडिसन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आरोन लेबीयू और उनकी टीम ने तीन खास वीएनएआर की पहचान की है। लेबीयू ने कहा है कि हम शार्क के वीएनएआर प्रोटीनों से ऐसी चिकित्सा विधि विकसित कर रहे हैं, जो भविष्य में कोविड जैसे प्रकोपों को रोकने में मदद करेगी। दुनिया में कोरोना वायरस द्वारा फैलाई गई महामारी कम नहीं हुई है और अब ओमिक्रोन जैसे वैरिएंट्स तेजी से फैल रहे हैं। ओमिक्रोन से पुर्नसंक्रमण का खतरा पांच गुणा ज्यादा है। शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस और एक नकली वायरस के खिलाफ शार्क वीएनएआर का परीक्षण किया। कोरोना वायरस कोशिकाओं में अपना विस्तार नहीं कर सके। इस परीक्षण से वे तीन वीएनएआर प्रोटीनों की पहचान करने में सफल रहे, जिनका प्रयोग कोविड के इलाज में किया जा सकता है। 3बी4 नामक वीएनएआर प्रोटीन ने वायरस के स्पाइक प्रोटीन के मानव कोशिकाओं के साथ जुड़ने की प्रक्रिया को अवरूद्ध कर दिया। स्पाइक प्रोटीन का यह तंग खांचा आनुवंशिक रूप से विभिन्न कोरोना वायरस में एक जैसा होता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि 3बी4 प्रोटीन मेर्स वायरस को भी निष्प्रभावी करने में सफल रहा, जो कोरोना वायरस का दूरवर्ती रिश्तेदार है। उन्होंने कहा कि विविध कोरोना वायरस के कुछ खास स्थानों के साथ जुड़ने की 3बी4 प्रोटीन की काबलियत उसे संक्रामक वायरस के खिलाफ एक प्रभावी हथियार बनाती है। डेल्टा जैसे कोरोना के विभिन्न वैरिएंट्स में भी 3बी4 प्रोटीन के जुड़ने के स्थान में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। हालांकि लेबीयू की टीम ने अपनी शोध ओमिक्रान के प्रकट होने से पहले पूरी कर ली थी। लेबीयू का कहना है कि यह वीएनएआर नए वैरिएंट से निपटने में कारगर रहेगा। विज्ञानियों का ख्याल है कि शार्क के विभिन्न वीएनएआर प्रोटीनों के काकटेल से विविध वायरसों और उनके रूप बदलने वाले अवतारों के खिलाफ उनकी दक्षता में वृद्धि की जा सकती है। लेबीयू कैंसर के निदान और उपचार में शार्क के वीएनएआर प्रोटीनों की उपयोगिता का भी अध्ययन कर रहे हैं। कोविड के इलाज में शार्क के प्रयोग पर विज्ञानियों की नजर काफी समय से है।शार्क के लीवर में मौजूद स्क्वालीन नामक तेल कुछ कोरोना रोधी वैक्सीनों में प्रयुक्त हो चुका है।