पुष्कर/राजस्थान। न मे पार्धास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन। मानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि।। श्री कृष्ण कहते हैं कि मेरे लिये संसार में कुछ कर्तव्य न रहते हुए भी मैं कर्तव्य करता हूं, धन्य है श्रीकृष्ण। बिना आपके कर्तव्य धर्म के महत्व को कौन मानता। हम भारतवासी आपके महान वचनों को भूलकर ही आज इस अंधकार के गर्त में बुरी तरह गिरे हुए हैं। संपूर्ण वेदों का संग्रह श्रीमद्भगवद्गीता साक्षात् ईश्वर की दिव्य वाणी है। श्री कृष्ण धर्म के प्राण स्वरूप हैं। इसकी महिमा अपार है। शेष महेश-गणेश भी इसकी महिमा पूरी तरह से वर्णन नहीं कर सकते।’ गीता’ एक परम रहस्यमय ग्रंथ है। इसमें संपूर्ण वेदों का संग्रह किया गया है। इसलिये गीता भगवान् की दिव्य अमृत वाणी से कहने पर सर्व समर्थ एवं सर्वविध कल्याण’- कारिणी है एवं सर्वथा आशीर्वाद स्वरुप है। श्री कृष्ण भगवान्श्री कृष्ण स्वयं भगवान थे, मनुष्य रूप में अवतरित होते हुये भी वे दिव्यता और आलौकिकता से परिपूर्ण थे। उनके जीवन की प्रत्येक घटना उनकी विशाल हृदयता और महान उदारता की परिचायक है। उनके जीवन में विशेष यह है कि उनमें मर्यादा का प्रतिबंध नहीं था। वे समयानुसार अपनी दैवी शक्ति का भी अवलम्बन कर लेते थे। बार-बार झूठ को दोहराने से झूठ भी सत्य प्रतीत होने लगता है। तो बार-बार जब सत्य को दोहराया जायेगा तो सत्य तुम्हारे में दृढ़ होकर प्रतिष्ठित हो जायेगा, उसमें आश्चर्य क्या है. इसलिये बार-बार राम कथा, भागवत कथा, ज्ञानयज्ञ में हिस्सा लेना चाहिए, क्योंकि आदमी स्वभाव से भुलक्कड़ होता जा रहा है। उसको बार-बार स्मरण दिलाना आवश्यक है, इसलिये हमारे महापुरुषों ने,सभी महापुरुषों ने यह व्यवस्था की है। ईश्वर की याद मंदिर है, गुरुद्वारा है, बौद्ध धर्म साधना केंद्र विपासना है, जैन स्थानक है। जब साधु संत को देख लिया, मंदिर को देख लिया, गुरुद्वारा को देख लिया तो उस परमात्मा की, उस राम की याद आती है, उस सत्य की याद आती है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।