पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि घर नहीं, प्रभु का मंदिर जहां गरीब का सम्मान है और नीति का धन है, वहां घर बैकुंठ के समान है। यह घर हमारा नहीं प्रभु का प्रेम मंदिर है- इस भावना से इसमें रहो। मनुष्य मालिक नहीं, प्रभु का मुनीम है। घर में आसक्त हुए बिना ही सगे-सम्बन्धियों की सेवा करो। पति पत्नी का सम्बन्ध केवल संसार के लिए नहीं भगवत् भक्ति’ त्याग’ ईश्वर की प्राप्ति के लिए है। दम्पति को नाविक और नाव की तरह संसार-सागर पार करना चाहिए। प्रभु प्राप्ति के लिए घर नहीं, आसक्ति छोड़ने की जरूरत है। तुम्हारा घर ठाकुर जी का मंदिर बन जाये, इस तरह जीवन व्यतीत करो। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।