देश में बह रही दूध की नदियां…

नई दिल्ली। आज देश को इस बात पर काफी गर्व है कि भारत हर साल पूरी दुनिया में दूध उत्पादन में 22 प्रतिशत से अधिक का योगदान करता है। भारत के बारे में एक कहावत थी कि यहां दूध की नदियां बहती है, यह आज भी पूरी तरह से सच साबित हो रहा है।

इसका श्रेय भारत में श्वेत क्रांति के जनक डा वर्गीज कुरियन को दिया जाता है। उनके अथक परिश्रम से ही देश आज इस स्थान पर पहुंचने में कामयाब हो सका है, आगे भी यह क्रम बना रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के बनासकांठा में बनास डेयरी के परिसर में प्रसंस्करण प्लांट का उद्घाटन किया।

उन्होंने बताया कि भारत साल भर में 8.5 लाख करोड़ रुपए मूल्य के दूध का उत्पादन करता है। गेहूं और चावल के वार्षिक टर्नओवर से कहीं ज्यादा है यह आंकड़ा। छोटे किसान डेयरी क्षेत्र के बड़े लाभार्थी हैं। बनासकांठा के उत्पाद अब लोकल से ग्लोबल होते जा रहे हैं। सहकारी डेयरी छोटे किसानों विशेष रूप से इनसे जुड़ी महिलाओं को सशक्त बनाती है।

इससे एक ओर जहां अर्थव्यवस्था में मजबूती आती है, वहीं महिलाओं और किसानों की आत्मनिर्भरता भी बढ़ती है। देश के करोड़ों किसान दूध उत्पादन पर निर्भर हैं। देश में अब श्वेत क्रांति को बढ़ावा देने में सहकारी समिति भी अपनी पूरी भूमिका निभा रहे हैं।

गुजरात इस मामले में एक अच्छा उदाहरण है। सरदार बल्लभ भाई पटेल ने बहुत पहले ही किसानों के बारे में कहा था कि उन्हें आर्थिक मजबूती तभी मिल पाएगी, जब वह बिचौलियों के झमेले से बाहर आएंगे। इस सरकार की नई नीति से अब किसान बिचौलियों से धीरे धीरे मुक्त होने लगे है।

गुजरात के आनंद में कुछ समय पहले पहली सरकारी संस्था बनाई गई, जो आज अमूल के नाम से प्रसिद्ध होकर पूरे देश में दूध का व्यापार करता है। छोटे किसानों ने मिलकर एक सरकारी समूह का गठन किया और वह आज इतना बड़ा हो गया है। भारत में डेयरी उद्योग 5.6 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रहा है।

खास बात यह है कि डेयरी क्षेत्र में रोजगार देने की क्षमता भी बढ़ रही है और अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की संभावनाएं भी दिखाई देने लगी है। दूध से बन रहे उत्पादों का एक बहुत बड़ा बाजार भी सामने उभर कर आ रहा है। इसे और भी बड़ा रूप देने की आवश्यकता है।

केंद्र और राज्य सरकारों ने अगर डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिया, तो निश्चित रूप से इसका एक बेहतरीन परिणाम सामने आएगा। इसमें लाभ दिखाई देने लगा, तो बड़े-बड़े उद्यमी भी अपना योगदान देना शुरू करेंगे और पूरे देश में दूध और उसके उत्पादों की नदियां बहने का क्रम सतत बना रहेगा।

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