तीसरा नेत्र परम तत्व का कराता है दर्शन: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान। भगवान शंकर के तीन नेत्र हैं। आध्यात्मिक दृष्टि से सभी को तीन नेत्र होते हैं, दो नेत्र तो स्पष्ट दिखाई ही पढ़ते हैं, तीसरे को ज्ञान नेत्र कहते हैं। दो नेत्र माया को लखाता है, तीसरा नेत्र उस परम तत्व का दर्शन कराता है। प्रायः लोगों का तीसरा नेत्र बंद रहता है। शिव की आराधना करने से तीसरा नेत्र खुल जाता है। त्रिपुंड की तीन रेखाएं होती हैं, त्रिशूल में भी तीन शूल होते हैं, बेल पत्र में तीन पत्ते होते हैं।तीन से पार होना हो तो भगवान शिव की शरण में अवश्य जाना चाहिए। माया के 3 गुण हैं सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण। इन तीनों गुणों से पूरा संसार बद्ध है। अगर त्रिगुणातीत बनना है तो शिव की आराधना करनी होगी। ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी तीन है इन तीनों को एक साथ प्रसन्न करने के लिए शिव की आराधना करना चाहिए। काम,क्रोध,लोभ आध्यात्मिक दृष्टि से तीन महाशत्रु है। अगर इनका समन करना है तो शिव की उपासना करना होगा। जाग्रत,स्वप्न,सुषुप्ति इनसे ऊपर उठना होगा और शुद्ध तुरीयावस्था जिसको समाधि भी कहते हैं। समाधि को उपलब्ध होना होगा तो शिव की उपासना के बिना संभव नहीं है।

Divya Morari Bapu
Divya Morari Bapu

किसी के यहां गये और वह माला फेर रहा है तो हम भी बैठेंगे, तो भगवान का नाम हमारे मुख से निकलेगा, कहीं गये और वह पूजा में बैठा है तो हम भी आंख बंद करेंगे।किसी के यहां गये और वह रो रहा है तो हम बनावटी सही रोते हैं। जिसे निरंतर समाधि में रहना है, वह निरंतर समाधि में रहने वाले भगवान शिव की शरण ले।यही कारण है कि-जो समाज में आदर्श हैं या पहले हुए, सबने भगवान शंकर की आराधना की है। तुलसी जौ लौ विषय की मुधा माधुरी मीठ। तौ लौ सुधा सहस्त्र सम राम भगति सुठि सीठि।। राम प्रेम पथ पेखिये किये विषय मन पीठ।तुलसी केचुल परिहरे होत सांप हूँ  दीठ।। अरे जीव! अगर तू राम की ओर बढ़ना चाहता है तो विषयों की तरफ पीठ दिखा दे। कैचुल पकने पर सांप को नहीं दिखाई पड़ता। कैचुल हटने पर दिखाई पड़ने लगता है। मोतियाबिंद आंख से पैदा होता है और आंख को ढक देता है दिखना बंद हो जाता है, मोतियाबिंद हटने पर ही दिखता है। हमारे अंदर से ही वासना पैदा होती हैं, ज्ञाननेत्र को बंद कर देती है वासना के समन होने पर दिखने लगता है। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि-कल रुद्रसंहिता सतीखंड की कथा होगी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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