परमात्मा से मिलने का साधन है भक्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। प्रजापति दक्ष के यहां भगवती सती का अवतार, भगवती सती की बाल लीला, भगवती सती द्वारा व्रतोपवास, भगवान शिव के साथ विवाह, सती और शिव का दिव्य लोकों में दिव्य वर्षों तक वास। शिव द्वारा नवधा भक्ति का उपदेश, भगवान शंकर के साथ अगस्त ऋषि के आश्रम पर कथा श्रवण, सतीमोह, दक्षयज्ञ और भगवती पार्वती के प्राकट्य की कथा का गान किया गया। ।।भगवान की भक्ति।। भक्ति दो प्रकार की होती है, वैधीभक्ति और रागानुगाभक्ति।

1- वैधीभक्ति- गुरुजी मंत्र दे दिये ईष्ट की मूर्ति को ले आये, दो-चार दिन तो बहुत मन लगा, बाद में कम हो गया। अब मन तो नहीं लगता लेकिन गुरुजी से मंत्र लिये हैं तो जप कर रहे हैं, पूजा पाठ कर रहे हैं।

2- रागानुभक्ति- किसी को कहना नहीं पड़ता स्वतः ही पूजा-पाठ में मन लगा रहता है। कथा सुनते सुनते हृदय में छुपा भगवत प्रेम प्रगट हो जाय और भगवतभक्ति प्रकट हो जाय यही मानव जीवन का परम लाभ है। भक्ति परमात्मा से मिलने का साधन है परमात्मा से मिलने के नव रास्ते हैं। जिसे नवधाभक्ति कहते हैं। श्रवण, कीर्तन, स्मरण, सेवा, पूजा, वंदन,दास्यभाव और आत्मनिवेदन।

रागानुगाभक्ति में किसी को कहना नहीं पड़ता। स्वतः ही पूजा पाठ में मन लगा रहता है। कथा सुनते- सुनते हृदय में छुपा भगवत प्रेम प्रगट हो जाय और भगवत भक्ति प्रगट हो जाय। इसी को रागानुगा अथवा प्रेमा भक्ति कहते हैं। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि-कल शिवविवाह की कथा होगी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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