नई दिल्ली। अग्निपथ भर्ती योजना का प्रकरण अब सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। पूरे देश में इसको लेकर विरोध की लहर बनी हुई है। इस योजना को चुनौती देते हुए तीन याचिकाएं दाखिल की गयी हैं। अभी शीर्ष न्यायालय का फैसला आने में समय लगेगा और केन्द्र सरकार ने भी इस प्रकरण में कैविएट दाखिल करते हुए न्यायालय से आग्रह किया है कि हमारा पक्ष सुने बिना कोई फैसला नहीं किया जाए।
तीनों सेनाओं की ओर से दृढ़ता से कहा गया है कि अग्निपथ योजना वापस नहीं होने वाली है। इस बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने अग्निपथ के बारे में पहली बार अपनी बात रखी है।वह काफी महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है। इसके निहितार्थ को समझने की जरूरत है। इसमें किसी प्रकार के आग्रह और दुराग्रह के स्थान पर वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता के साथ विवेकशील ढंग से देखना- समझना ज्यादा उचित होगा।
डोभाल ने अग्निपथ की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा है कि सुरक्षा सम्बन्धी बदलते हालात को देखते हुए यह मात्र योजना नहीं है, बल्कि बेहतर भविष्य की तैयारी भी है और इसके लिए बदलाव जरूरी है। हमें अभी से तैयार रहना होगा।
इसके लिए हमें परिवर्तित भी होना पड़ेगा। अग्निपथ योजना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि भारत में और भारत के चारों तरफ माहौल बदल रहा है। जो कल तक हम करते रहे वही भविष्य में भी करें तो यह जरूरी नहीं है कि हम सुरक्षित रहेंगे।
सभी युद्ध एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। तकनीकी तेजी से आगे बढ़ रही है। हम सम्पर्क रहित युद्ध की ओर जा रहे हैं और अदृश्य शत्रु के खिलाफ युद्ध ओर भी जा रहे हैं। उनका कहना है कि अकेले अग्निवीर पूरी सेना में कभी नहीं होंगे।
डोभाल ने जो पक्ष रखा है उस पर चिन्तन करने की जरूरत है। वस्तुतः सेना की सेवा यह नया प्रयोग है और किसी भी प्रयोग को अमल में लाने से पहले पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है। इसके महत्व और भावी परिणामों पर भी ध्यान देना होगा। हर क्षेत्र परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। नई- नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। ऐसी स्थिति में भविष्य के लिए हमें मजबूत तैयारी की ओर बढ़ना है, क्योंकि देश की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय है।