रोचक जानकारी। इंसान के अहसास अक्सर उसके चेहरे से बयां होते हैं। लोग बोलते कुछ हैं और महसूस कुछ और करते हैं। इंसानी संवाद विरोधाभासों से भरा होता है, जहां भाषा, अभिव्यक्ति और भावनाएं मिलकर ही सार्थक संदेश रचती हैं। तीनों में से एक भी तत्व न रहे तो अर्थ का अनर्थ होते देर नहीं लगती।
वर्चुअल दुनिया में जहां इंसान मीलों दूर बैठे किसी इंसान से संवाद करता है तो बातों के सटीक मायने समझ पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इस मुश्किल को आसान बनाते हैं इमोजी। यह इंसानी अहसासों को सहज व मौलिक तरीके से व्यक्त करने में मददगार साबित हो रहे हैं। इमोजी न होते तो डिजिटल संवाद बेहद नीरस और भ्रामक होते।
17 जुलाई को वर्ल्ड इमोजी डे मनाया गया। इमोजी की कहानी असल में 1999 से शुरू होती है, लेकिन वर्ल्ड इमोजी डे 2013 से मनाया जाने लगा। इमोजी के वजूद में आने और वर्ल्ड इमोजी-डे की शुरुआत के किस्से से पहले जान लीजिए कि ऑनलाइन संपर्क में बने रहने के लिए अब कॉल व टेक्सट मैसेज से ज्यादा इमोजी का इस्तेमाल होता है।
जापान में 1999 में बना इमोजी:-
जब मोबाइल फोन पर तस्वीरों का चलन नहीं था, तब टेक्स्ट मैसेज की वजह से इंसानी स्वभाव के विरोधाभास मुश्किलें पैदा कर रहे थे, गंभीर बातों को मजाक में ले लिया जाता और मजाक को गंभीरता से लेने लगे। इस मुश्किल का हल तलाशते हुए जापानी इंजीनियर शिगेतका कुरिता ने एक टीम के साथ 1999 में पहला इमोजी बनाया।
वह जापानी मोबाइल नेटवर्क कंपनी डोकोमो के पेजर के लिए काम करते थे। उन्होंने कुल 176 इमोजी बनाए थे। इमोजी शब्द भी जापानी भाषा से ईजाद हुआ है। यह मोटे तौर पर जापानी भाषा के शब्द इ- तस्वीर और मोजी- पात्र से मिलकर बना है। इसके बाद 2010 में इमोजी का यूनिकोड वर्जन बना और ये बेहद लोकप्रिय होने लगे। 2014 में गुगल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक और ट्विटर ने अपने-अपने इमोजी पेश किए।
ऑस्ट्रेलियाई ब्लॉगर जेरमी बर्ज ने इमोजी का अर्थ समझने के लिए गूगल और विकीपीडिया पर इसकी खोज की, लेकिन वहां भी कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने 17 जुलाई, 2013 को इमोजीपीडिया बनाया। इसके एक साल बाद 17 जुलाई, 2014 को पहला वर्ल्ड इमोजी-डे मनाया गया