पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवान् कृपा करें, सबको ऐसी दृष्टि दें, माया को दिखाने वाली सामान्य दृष्टि परमात्मा ने चौरासी लाख योनियों में सभी जीवों को दी है। लेकिन वह दृष्टि दें जिसमें उनकी झलक हर जगह दिखाई देती है। वह दृष्टि अलग होती है। दिव्यं ददामि ते चक्षुः पश्य मे योगमैश्वरम्। भगवान् कहते हैं, मैं अपने भक्तों को दिव्य दृष्टि देता हूं। एक कैमरा होता है, जो बाहर का चित्र लेता है, जिसे फोटो कैमरा भी कह सकते हैं और एक कैमरा होता है जो अंदर का चित्र लेता है, जिसे एक्स-रे भी कहते हैं। सामान्य फोटो कैमरा सिर्फ बाहर तुम्हारा चेहरा, तुम्हारा चित्र दिखा सकता है। तुम्हारे अंदर क्या है, वह नहीं दिखा सकता। जबकि एक्स-रे कैमरा तुम्हारे अंदर की हड्डियां, मांस पेशियां सब दिखा देगा। लेकिन तुम्हारा चेहरा या चित्र नहीं दिखा सकता। ये दो तरह दृष्टियां हो गई। एक कैमरा बाहर का स्वरूप दिखाता है और दूसरा कैमरा तुम्हारे अंदर के अंग-प्रत्यंग दिखा देता है। अज्ञानी व्यक्तियों की दृष्टि बाहर वाले कैमरे की तरह है बाहर जैसा है वैसा ही दिखाता है। लेकिन ज्ञानी की दृष्टि एक्स-रे कैमरे की तरह है जो बाहर न दिखाकर अंदर आत्मा और परमात्मा को दिखाता है।
भगवान् ऐसी दृष्टि देते हैं कि फिर वह बाहर नहीं देखता, अंदर जो परमात्मा बैठे हुए हैं, उसकी दृष्टि उनकी और जाती है और वही परमात्मा मुस्कुराते हुए हर समय प्रत्येक स्थान पर नजर आने लगते हैं। वह दृष्टि उनसे मिलती है। आजकल डॉक्टर आंखों में लेंस लगा देते हैं, परमात्मा अंदर ही ऐसा कांच फिट कर देते हैं । जिससे कण-कण में व्यापक परमात्मा स्पष्ट दिखाई देने लगता है। नामदेव ने कुत्ते में भगवान् को देख लिया। संत एकनाथ ने खोते में उन्हें देख लिया। जहँ चितवहिं तहँ प्रभु आसीना। जिधर देखता हूं ,उधर तू ही तू है। हरि व्यापक सर्वत्र समाना। वह दिव्य दृष्टि मिलनी चाहिए। जहां सबमें हमें भगवान दिखाई देने लगे, वह दृष्टि साधना करते-करते मिल जाती है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा। (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।