पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि मनुष्य शरीर जिसने पाया और जिसको मृत्यु की सूचना मिल चुकी है, उसे क्या करना चाहिए। वृद्धावस्था मृत्यु की सूचना ही तो है। बच्चे को आशा है कि वह युवान होगा, फिर बृद्ध होगा, फिर मरेगा। युवान को लगता है कि अभी युवावस्था है, फिर वृद्धावस्था आयेगी, उसके बाद मृत्यु होगी। लेकिन वृद्धावस्था आने के बाद विचार करना चाहिए कि अब आगे क्या आने वाला है, अब तो मृत्यु आना ही शेष है। वृद्धावस्था मृत्यु की सूचना ही है। वृद्धावस्था आ गयी इसका मतलब आप पानी के बुलबुले हो, किसी भी दिन फूटने वाले हो, इसलिए सावधान हो जाओ। बाल सफेद होने का मतलब क्या है? काले कोयले को आग लगा दो, वह जल जाने पर सफेद हो जाता है, वैसे ही जीवित बाल काले रहते हैं और जल जाने के बाद सफेद हो चुके हैं। बालों के जल जाने के बाद भी आप जिंदा हो यह भगवान की कृपा है। अब जितने दिन जीवित हो, उतने दिन भगवान् का भजन कर लो। जरावस्था आने के बाद भी यदि मरने का भय तुम्हारे मन में नहीं है, तो आपसे ज्यादा अज्ञानी दुनियां में कौन होगा? बुढ़ापे का नाम जरा होता है, जरा मायने जला, जो जल चुका है। जिसका सब खत्म हो चुका। दांत चले गये, आंख की नजर कमजोर हो गई, कमर टेढ़ी हो रही है, पैर लड़खड़ाने लगे हैं, बाल सफेद हो गये,अब इन सब मृत्यु के नोटिसों पर ध्यान न दो, तो जिंदगी बेकार है कि नहीं? जब वृद्ध व्यक्ति को दुकान की ओर भागते देखते हैं, अक्सर सोचते हैं और बताते भी रहते हैं, कि अब ‘जरा’ जरा भी अनुभव नहीं हो रहा है। वह अपने को युवान देख रहा है, इसीलिए दुकान की ओर भाग रहा है। युवान भागे तो उतना खतरा नहीं है। लेकिन जब जरा दुकान की ओर भागता है तो थोड़ा लगता है कि अब कम से कम दुकान की तरफ ध्यान दो अधिक से अधिक भगवान् की तरफ ध्यान दो। जब आप नहीं रहेंगे, तब आपकी दुकान चलेगी कि नहीं? फिर यही सोच लो कि हम चले गए हैं, पांच सात दिन के लिए दुनियां में है ही नहीं। कल्याण चाहने वाले को अपना लक्ष्य बनाना चाहिए कि मुझे भगवान की कथा सुननी है, मुझे भगवान का नाम जपना है। उनके नाम का कीर्तन करना है। चलते फिरते हरि नाम का स्मरण करना है और प्रभु की पूजा करनी है। यह उस व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य है, चलते फिरते हरि नाम का स्मरण करना है और उनकी पूजा करनी है। वह जीवन भर इतना इसलिए कर रहा है- ताकि मृत्यु के समय मुख से भगवान का नाम निकल जाये। जन्म का लाभ यही है कि मृत्यु के समय भगवान का नाम मुख से निकल जाये, इससे बढ़कर और कोई लाभ नहीं है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला अजमेर (राजस्थान)।