भगवान् में श्रद्धा प्रेम और भक्ति को देती है जन्म: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवान् कपिल ने कहा मां! जब तक व्यक्ति का चित्त संसार के विषयों से जुड़ा हुआ है, तब तक जीवन में बंधन है, दुःख है, अशांति है, नर्क है। जिस दिन चित्त संसार के विषयों से हट जायेगा, चित्त का विषयों से संबंध टूट जायेगा, उस दिन जीव अपने- आपको ब्रह्म रूप में पायेगा, उस दिन उसके जीवन में ऐसा लगेगा कि मैं ब्रह्मानंद में डूबा हुआ हूँ। मेरे पास यहीं बैकुंठ आ गया है। जब व्यक्ति की अहंता और ममता मर जाती है, काम, क्रोध, लोभ, मद उसके तिरोहित हो जाते हैं। आशा, तृष्णा उसकी क्षीण हो जाती है, उस समय जब वह ध्यान करता है तो अखंड ज्योति, अखंड आनंद, आत्मा और परमात्मा एक रूप में नजर आते हैं। फिर वह अपने-आपको प्रकृति से ऊपर, माया से ऊपर देखता है और फिर ऐसा मीठा मीठा अंदर झरना झरता रहता है कि संसार के सुखों की इच्छा ही नहीं रहती। जीवन मुक्त हो जाता है। माता ने कहा यह स्थिति प्राप्त कैसे होती है? आपने जो वर्णन किया, बड़ा अच्छा लग रहा है पर चित्त के विषय निकलें कैसे? उसका उत्तर भगवान् कपिल ने दिया कि मां इसका सबसे बड़ा फार्मूला यह है कि कुसंगतियों का संग छोड़ दो। जिनके पास बैठने से, संसार के विषयों की चर्चा सुनने को मिले उनका संग छोड़ दो। जिन महापुरुषों के पास बैठकर भगवान की मीठी-मीठी कथा सुनने को मिले,भगवान् का सुन्दर कीर्तन हो, जिसके संग से निरंतर नाम निकलने लगता हो, ऐसे संतों का संग करो। यह कपिल भगवान का बहुत बड़ा सूत्र है। मां ! जब आप संतों के मुख से मेरी मीठी-मीठी कथा सुनोगी, कानों के द्वारा जब वह आपके भीतर प्रवेश करेगी तो आपका मन निर्मल होता जायेगा।

जैसे सर्फ डालने के बाद यदि पानी में कपड़ा डाला जाये, उसकी मैल कटती है, इसी तरह जब कान से भगवान् की कथा अंदर प्रवेश करती है तो थोड़े दिनों बाद श्रद्धा और भक्ति प्रगट होते हैं। कथा का फल यह है कि- भगवान् में श्रद्धा जगायेगी, इसके बाद श्रद्धा, प्रेम और भक्ति को जन्म देगी। यदि तार न हो तो क्या बिजली दौड़कर आपके घर आ सकती है? अगर पक्षी के पंख न हो तो आकाश में उड़ कर जा सकता है क्या ? इसी तरह आपके मन में संसार में किसी के प्रति राग न हो, द्वेष न हो, तो आपका मन आपके घर से बाहर जा सकता है क्या? मन बाहर जाता है क्यों। क्योंकि हमें किसी से कुछ चाहिये। जब हमें किसी से कुछ चाहिए तो हमारा मन वहां जायेगा। निष्काम चित्त होते ही मन शांत हो जाता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा ,गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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