मां भगवती की आराधना करने वाले होते हैं शक्ति संपन्न: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवती की कृपा जब जागृत होती है, तब माँ आपके अंदर स्मरण शक्ति बनकर प्रगट होती हैं। सुनते ही सब कुछ याद हो जाता है। राजा भोज के दरबार में तीन पंडित थे। एक पंडित ऐसा था, जिसे एक बार में ही सुनकर याद हो जाता था, दूसरे पंडित जी को दो बार सुनकर याद हो जाता था और तीसरे पंडित जी को तीन बार सुनकर याद हो जाता था। विषय कैसा भी हो- सुगम या कठिन, कठिन से कठिनतम विषय भी उन्हें याद हो जाती थे। श्रीकालिदासजी को महाराज ने निकाल दिया था। उनके चले जाने पर उन्हें वापस बुलाना चाहते थे, पर कुछ पता नहीं चल रहा था। युक्ति निकाली गई कि जो कोई नया श्लोक बना कर लायेगा, उसे हम पचीस हजार रूपये इनाम देंगे। उन दिनों में पचीस हजार रूपये बहुत बड़ी रकम होती थी। जब कोई पंडित जी नया श्लोक बनाकर लाते। महाराज सभा में सुनाने का आदेश देते और जब वह सुनाता, तब वह पंडित जी जिसे एक बार सुनने से याद हो जाता था उनको देखते हुए महाराज कह देते कि यह श्लोक तो पुराना है। जब पूँछा जाता कि क्या प्रमाण है? महाराज कहते- हमारे पंडित जी प्रमाण है। सुनाइए पंडित जी और वह पंडित जी सुना देते। फिर दूसरे को कह देते-आप भी सुना दीजिए और वह भी सुना देते। अब तीसरे को याद हो जाता, तब वह भी सुना देते। इस प्रकार तीन गवाह हो जाते। पंडित और विद्वान नए से नया श्लोक बना कर लाते, बड़े से बड़ा श्लोक बनाकर लाते और महाराज कह देते कि श्लोक पुराना है। श्री कालिदास जी महाराज एक ब्राह्मण के पास ठहरे हुए थे। उसे अपने पुत्री का विवाह करना था, उससे श्री कालिदास जी महराज ने कहा नया श्लोक बनाकर देता हूं। उसमें से कोई भी उसे पुराना सिद्ध नहीं कर सकेगा। देखो, चमत्कार बुद्धि का। उन्होंने श्लोग बनाकर दे दिया, जिसका अर्थ था कि राजा भोज, तुम्हारे पिता ने हमसे पचास हजार रूपये उधार लिए थे, उसी समय का यह श्लोक है। हमारे रुपए ब्याज सहित लौटा दो। अब यदि राजा कहता है कि श्लोक पुराना है, तब पचास हजार रूपये देने पड़ेंगे और यदि कहता है- नया है तो पचीस हजार रूपये देने पड़ेंगे। प्रथम पंडित जी को याद हो गया, लेकिन राजा ने इशारा कर दिया कि सुनाना मत। राजा ने मान लिया कि तुम्हारा श्लोक नया है, लेकिन यह बात निश्चित है कि आपके पास ही श्री कालिदास जी महाराज रह रहे हैं, क्योंकि उनके बिना ऐसा दिमाग और किसी के पास है ही नहीं। ऐसी युक्ति से राजा ने श्री कालिदास जी महाराज को ढूंढ निकाला। मां भगवती की आराधना करने वाले शक्ति संपन्न होते हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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