नई दिल्ली। बीते दिन दिल्ली आईआईटी का कैंपस अपनी तरह के सबसे बड़े रिसर्च मेले ‘इनवेंटिव 2022’ का गवाह बना। देश के 23 आईआईटी अपने 75 बड़े रिसर्च प्रोग्राम के साथ एक जगह पर जमा हुए हैं। यहां पर स्वास्थ्य से जुड़ी रिसर्च से लेकर 5जी से जुड़े कई नए इनोवेशन देखने को मिले। कई प्रोजेक्ट रिसर्च ऐसे हैं, जो उद्योग जगत पर फोकस करते हैं, लेकिन कई ऐसे हैं, जो आम लोगों की जिंदगी आसान कर सकते हैं। तो आइए आपको बताते हैं कुछ बेहतरीन रिसर्च प्रोजेक्ट्स के बारे में…
‘भाषिणी’ प्रोजेक्ट पर सबसे ज्यादा भीड़:- सबसे ज्यादा भीड़ जिस रिसर्च प्रोजेक्ट के स्टॉल पर रही, वह है आईआईटी बॉम्बे का भाषिणी प्रोजेक्ट। ये बोल कर एक भाषा को दूसरी भाषा में फौरन बदलने का सॉफ्टवेयर है। मिसाल के तौर पर आप अगर कोई बात हिंदी में बोलते हैं, तो यह उसे मराठी में बदल कर फौरन सुना
सकता है। इस प्रोजेक्ट के दो हिस्से हैं। पहले में लिखे हुए को अलग-अलग भाषाओं में बदला जाता है और दूसरे में बोल कर बदलने का विकल्प है। ये प्रोजेक्ट आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर पुष्पक भट्टाचार्य की देखरेख में चल रहा है। प्रो. पुष्पक का कहना है कि जल्दी ही हम इसको एक एप की शक्ल में लाएंगे।
लाखों का बायोनिक हाथ मिलेगा हजारों में:- इस समय बायोनिक हाथ की कीमत लाखों में है। फिलहाल यह आम आदमी की पहुंच से दूर है। आईआईटी बीएचयू के स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग ने ऐसा बायोनिक हाथ बनाया है, जिसकी कीमत 20 हजार के करिब तक हो सकती है।
इस बायोनिक हाथ को दिव्यांग के हाथ में एक फ्रेंम के जरिए फिट कर दिया जाएगा। हाथ की मांसपेशियों से मिलने वाले इशारे पर कृत्रिम हाथ का मोटर काम करता है। ये हाथ चुटकी से कोई वस्तु उठाने से लेकर मुट्ठी में गेंद पकड़ने जैसे काम आसानी से करता है।
मिट्टी में घुल जाती है यह प्लास्टिक:- आईआईटी गुवाहाटी के केमिकल इंजीनियरिंग लैब में ऐसे कंपोनेंट को बना लिया है, जो दिखता तो बिल्कुल प्लास्टिक जैसा है, लेकिन ये पूरी तरह से मिट्टी में मिल जाता है। इससे थैले बनाए जा सकते हैं, जो पॉलिथीन बैग का बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं। इससे प्लास्टिक से खिलौने, फिल्म रोल, बर्तन आसानी से बनाए जा सकते हैं।
स्किन डिजीज मॉडल भी चर्चा में:- आईआईटी दिल्ली में एक रोचक रिसर्च चल रही है, जिसका नाम है थ्री डी बायोप्रिंटेड स्किन डिजीज मॉडल। इसमें वैज्ञानिक लैब में इंसानी स्किन को तैयार कर रहे हैं। पहले स्किन में पाये जाने वाले सभी गुण दोषों को समझा जाता है। फिर केमिकल और प्राकृतिक वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है।