सत्यम् शिवम् सुंदरम् ईश्वर के हैं सौंदर्य: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भागवत में लिखा है कि भगवान् के प्यारे भक्त के लक्षण क्या हैं। यदि ब्रह्मा यह कह रहे हों कि हम तुम्हें तीनों लोक का सुख दे देते हैं, आधे निमेष के लिये, पलक गिरने में जितना समय लगता है, उससे आधे समय के लिये, तुम अपने ठाकुर का चिंतन छोड़कर हमारी और देख लो। अगर वह भगवान् का सच्चा वैष्णव भक्त बना है तो तीन लोक की संपत्ति ठुकरा देगा, लेकिन आधे निमिष के लिये भी ठाकुर का दर्शन-सुमिरण बंद नहीं करेगा।

सत्यम् शिवम् सुंदरम् मेरे ईश्वर’ भगवान का सौंदर्य ऐसा है कि मनुष्यों की बात तो क्या पशु-पक्षी भी भगवान को देख कर भगवान के बन जाते हैं। भगवान् श्री राम जब लंका जाने लगे और पुल पर खड़े हुए तो हजारों जलचर जीव भी भगवान का दर्शन करके मग्न हो गये। ब्रज के भक्त जन, ब्रज की लता पता भी नंदनंदन श्याम सुंदर का दर्शन करके, सब अपने को धन्य-धन्य मानते हैं। बड़े-बड़े संत जन भी ब्रज के लता-पता वृक्ष बनने के लिये लालायित रहते हैं।

भक्त जन भगवान की मूर्ति का ध्यान करते हैं, मंदिरों में जो मूर्तियां खड़ी हैं उनका ध्यान कर लेते हैं, यदि मन में मूर्ति बनाते हैं तो मूर्ति धुंधली, काली बनती है। या तो मूर्ति बनती ही नहीं, यदि बनती भी है तो बिना प्रकाश के, बिना चमक के, आकृति बनती है। उसका कारण है हृदय की मलिनता। जिस चीज से आप अपना मुख देखते हो, उसमें दिन के 12 बजे सूर्य के दर्शन करना चाहो, तो आपकी आंखें खुल नहीं सकता, बंद हो जायेंगी, इतना तेज होता है उसी शीशे पर थोड़ा सा कोयला तेल में मिक्स करके लेप कर दो, उसके बाद आप सूर्य को देखो तो बिल्कुल किरणों से रहित एक गोल पिंड नजर आयेगा।

दिन के 12 बजे देखो किरणें नहीं होगी। अब सूर्यनारायण ने अपनी किरणें स्वयं छुपा ली हैं या कोयले ने छुपा दी है, कहा जायेगा की किरणें तो हैं, लेकिन कोयले ने किरणों को छुपा लिया है। अब कोयला साफ करो जैसे-जैसे कोयला साफ होता जायेगा, सूर्य की किरणों की चमक तेज होती जायेगी और जब कोयला पूरा साफ हुआ शीशा शुद्ध हुआ तो वह किरणें देख कर आंखें बंद हो जायेंगी।

इसी तरह भक्त जब भगवान के स्वरूप का ध्यान करता है, उसको विशेष सुंदर भगवान नहीं दिखते क्योंकि हृदय उसका मलिन है। भगवान में मैल नहीं है, ध्यान करने वाले के हृदय में मैल है। ध्यान करते-करते जब हृदय शुद्ध हो जायेगा, तब भगवान् का दिव्य दर्शन ध्यान में भी भक्तों को होने लगेगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।

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