सनातन धर्म में हर रोज है उत्सव: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सनातन धर्म में हर रोज उत्सव है हम अगर पंचांग में देखें तो नित्य किसी न किसी महापुरुष या भगवान् के अवतार का उल्लेख होता है। सनातन धर्म, राष्ट्र, ईश्वर और महापुरुषों में आस्था रखने वाले लोग, उसे उत्सव के रूप में मनाते हैं। वर्ष में 365 दिन होते हैं लेकिन उत्सव तो उससे बहुत अधिक है। प्रत्येक दिन आस्था रखने वाले लोगों के लिए अनेक उत्सव है, अनेक स्मरण है। इसमें कुछ उत्सव अतिशय महत्वपूर्ण है। रक्षाबंधन, विजयदशमी, दीपावली, होली, शिवरात्रि, श्री राम नवमी और गुरु पूर्णिमा।धर्म में आस्था रखने वाले लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं और
सबको मनाना चाहिए।

उत्साह शब्द से उत्सव शब्द बना है, जीवन में सफलता के लिये उत्साह होना अति आवश्यक है। हतोत्साहित व्यक्ति कुछ भी नहीं कर सकता। राजा का युद्ध दूसरे राजा के साथ चल रहा था, कई दिन बीत गये। एक दिन राजा सुबह जगा तो बहुत दुःखी था। महारानी जी ने पूछा आप इतने दुःखी क्यों हैं? कोई खराब समाचार आया है, राजा ने कहा ऐसा कुछ भी नहीं है, लेकिन आज हमने बहुत खराब स्वप्न देखा है। हमने स्वप्न देखा है कि हमारी हार हो गई, महारानी जी ने कहा कि हमने आपसे भी बुरा स्वप्न देखा, राजा ने पूछा आपने स्वप्न में क्या देखा? महारानी जी ने कहा हमने यह देखा कि आप मन से हार गये? लड़ाई में हार जीत होती रहती है, हार होना कोई बहुत बड़ी बात नहीं। मन का हार जाना ठीक नहीं है।

सफलता के सूत्र संतो ने बताये हैं। निश्चित लक्ष्य, अपने से बड़ों का मार्गदर्शन, उत्साही जीवन, इष्ट देव पर पूर्ण विश्वास, अपना जीवन ऐसा बनाएं कि हम सबके आशीर्वाद का पात्र बन सकें। निश्चित लक्ष्य, श्रेष्ठ मार्गदर्शन, उत्साही जीवन, ईष्ट निष्ठा और सब का आशीर्वाद।

दीपावली उत्सव का इतिहास रामायण से संबंधित है और भागवत से भी संबंधित है। समुद्र मंथन के समय कार्तिक अमावस्या के दिन भगवती लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ, इसलिए अपने यहां दीपावली मनाई जाती है और उस दिन विशेष लक्ष्मी जी की पूजा होती है। दूसरी कथा रामायण से संबंधित है भगवान् श्री राम रावण पर विजय प्राप्त करके कार्तिक अमावस्या के दिन अयोध्या पधारे और अयोध्या वासियों ने खुशी में दीप जलाये, तबसे दीपोत्सव की परंपरा है हम भारतवासियों को लक्ष्मी पूजा और दीपोत्सव अवश्य मनाना चाहिए।

दीपावली के दिन श्री लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा होती है। लक्ष्मी धन की अधिष्ठात्री देवी है। धन प्रदान करने वाली है और गणेश जी बुद्धि प्रदान करने वाले हैं, विवेक प्रदान करने वाले हैं। धन के साथ विवेक होना बहुत आवश्यक है, धनवान व्यक्ति अगर विवेक हीन हो जाय तो सिवाय अपयश और अधर्म के कुछ नहीं पायेगा। इसीलिए दीपावली के दिन श्री लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा की बहुत महिमा है।

सभी हरि भक्तों को धनतेरस, छोटी दीपावली, बड़ी दीपावली की गोवर्धन आश्रम एवं पुष्कर आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।

श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान)

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