पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि परमात्मा श्री राम, कृष्ण, नारायण शिव, भगवती और गणेश जी के द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया है। भगवान जगतगुरु हैं। शिष्य एक दिये की भांति है, एक मिट्टी का दिया, जिसके भीतर बाती है, तेल है बस आवश्यकता है तो किसी सद्गुरु के द्वारा एक चिंगारी की, जिसमें वह ज्योति प्रगट है, उसके संपर्क में आये कि हम भी प्रज्वलित हो सकते हैं। विद्वता, पांडित्य प्रभावित कर सकता है। प्रभावित करने वाली वाणी तो आपको बहुत जगह सुनने को मिल जाती है लेकिन व्यक्ति को प्रकाशित करने वाली जो बात है, प्रकाशित करने वाली जो वाणी है, वह तो अनुभूति से युक्त संतो और महापुरुषों के द्वारा ही प्राप्त होती है। यही कारण है कि श्रीमद्भागवत में भी वेदव्यास वेदों का विस्तार और वेदों को व्यवस्थित करने के बाद भी, पुराणों की रचना करने के बाद भी, जब अशांत हुए तो व्यास जी का मार्गदर्शन श्री देवर्षि श्री नारद जी ने किया। विद्वान भी जब व्यथित होता है तो किसी भगवान् में डूबे हुए हैं संत महापुरुष से पूछता है और वास्तव में भक्ति मार्ग के आचार्य देवर्षि नारदजी ने जो उपाय बताया, जो पंथ बताया, उस पर चलते हुए जब व्यास ने निर्मल मन से भगवान् के यश का गान किया, श्रीमद्भागवत की रचना हुई तब कहते हैं कि व्यास जी को ‘ संपूर्ण ‘ संतोष का अनुभव हुआ। “भागवत” जो भगवान् ने किया है, वह है। और “गीता” जो भगवान् ने कहा है, वह है। भगवतागीता और भगवती गीता, दोनों प्रकार से कह सकते हैं। भगवता गीता, भगवान के द्वारा जो गाया गया है गीत वह है भगवद् गीता। “भगवता गीता” भगवत् गीता और इसको भगवती गीता भी कह सकते हैं। क्योंकि इसको मां कहकर के पुकारा गया है। गीता ज्ञान जीवन को प्रकाशित करने वाला है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।