टेक्नोलॉजी। गूगल ने क्रोम यूजर्स के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए एक नया फीचर लॉन्च किया है। गूगल अपने क्रोम यूजर्स के लिए नया अपडेट passkey फीचर लेकर आया है। इसकी मदद से बिना पासवर्ड डाले ही किसी भी वेबसाइट पर लॉनिग किया जा सकेगा। पास-की फीचर की मदद से यूजर्स गूगल क्रोम और एंड्रॉयड डिवाइस में पिन के अलावा बायोमेट्रिक यानी फिंगरप्रिंट या फेस आईडी से भी लॉगिन कर सकेंगे। इसका इस्तेमाल किसी भी वेबसाइट और एप में किया जा सकेगा। कंपनी ने इस फीचर का परीक्षण अक्टूबर में किया था।
यह नया पासकी फीचर क्रोम के डेस्कटॉप और मोबाइल डिवाइस दोनों पर काम करता है। इसके लिए आपका पीसी विंडोज 11 या मैकओएस पर अपडेट होना चाहिए। जबकि मोबाइल का ऑपरेटिंग सिस्टम Android होना चाहिए। इसके अलावा गूगल यूजर्स को एंड्रॉयड से दूसरे डिवाइस में सिक्यॉरिटी सिंक करने की सुविधा दे रहा है। इसके लिए यूजर्स क्रोम के पासवर्ड मैनेजर या थर्ड पार्टी ऐप्स की मदद ले सकते हैं।
पासकी यूनिक डिजिटल पहचान हैं जिन्हें आपके डिवाइस पर स्टोर आराम से कर सकते है। यह आपके पीसी, फोन या यूएसबी सुरक्षा जैसे अन्य डिवाइस पर रह सकता है। इससे यूजर्स को आसान और सुरक्षित एक्सेस मिलता है। पासकी के साथ, यूजर्स आसानी से किसी वेबसाइट या एप्लिकेशन में लॉग इन कर सकते हैं। इसके लिए डिवाइस के बायोमेट्रिक या अन्य सुरक्षित वेरिफिकेशन मेथड का इस्तेमाल किया जाता है यानी यूजर को पासवर्ड टाइप करने की जरूरत नहीं होगी।
इसी साल मई में माइक्रोसॉफ्ट, एपल और गूगल ने कॉमन पासवर्डलेस साइन-इन की घोषणा की थी। तीनों कंपनियों के सहयोग से “Passkeys” को वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम और FIDO Alliance ने तैयार किया है। इस फीचर्स को अक्तूबर में टेस्टिंग के लिए उपलब्ध कराया गया था, लेकिन अब इस फीचर को जारी कर दिया गया है।
दरअसल, एंड्रॉयड क्रोम पर पास कीज को गूगल पासवर्ड मैनेजर में स्टोर किया जाता है। यह पास-की को यूजर्स के एंड्रॉयड डिवाइस पर सिंक करता रहता है जिसपर सेम गूगल अकाउंट को लॉगिन किया गया है।
क्या है पास-की?
पास-की एक यूनिक डिजिटल आइडेंटिटी है जो आपके डिवाइस पर स्टोर रह सकता है। यह आपके डिवाइस में यूएसबी सिक्योरिटी की तरह रह सकता है और इसकी मदद से आसानी से लॉगिन या एक्सेस किया जा सकता है। पास-की फीचर पासवर्ड से अधिक सुरक्षित और उपयोग में आसान है। इसे पासवर्ड की जगह इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया गया है, यह बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के लिए टच आईडी या फेस आईडी का उपयोग करता है।
इस फीचर की मदद से यूजर्स अन्य डिवाइस में भी वेबसाइटों या एप को सुरक्षित रूप से साइन-इन कर सकते हैं। यानी कि आपको अन्य डिवाइस में लॉगिन करने के लिए अपने ओरिजनल पासवर्ड को डालने की जरूरत नहीं होती, बल्कि आप पास-की का इस्तेमाल कर सकते हैं।