एस्ट्रोलॉजी। सनातन धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से बना है, इसलिए सृष्टि में इससे ज्यादा पवित्र और कुछ भी नहीं। रुद्राक्ष भगवान शिव को भी प्रिय है। मान्यताओं के मुताबिक रुद्राक्ष धारण करने वाले लोगों पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती हैं, इसलिए ज्यादातर शिव भक्त रुद्राक्ष धारण किए हुए होते हैं। रुद्राक्ष से ना सिर्फ धार्मिक लाभ प्राप्त होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य लाभ भी देता है। एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक के रुद्राक्ष पाए गए हैं।
हिंदू के मान्यताओं के मुताबिक इन सभी रुद्राक्षों की अपना एक अलग महत्व है। माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने से कष्ट दूर होते हैं। तो आइए जानते है कि रुद्राक्ष धारण करने के क्या नियम हैं, रुद्राक्ष किसको नहीं धारण करनी चाहिए?
गर्भवती स्त्री :-
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक यदि किसी स्त्री को रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी गई है तो बच्चे के जन्म के बाद सूतक काल समाप्त होने तक उसे रुद्राक्ष उतार देना चाहिए। इसके अलावा रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को जहां नवजात शिशु और उसकी मां हो, उस स्थान पर प्रवेश नहीं करना चाहिए। अगर किन्ही कारणों से उसे वहां जाना भी पड़े तो पहले रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए।
मांसाहारी व्यक्ति :-
मांसाहार करने वाले व्यक्ति को रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक रुद्राक्ष धारण करने से पहले धूम्रपान और मांसाहार भोजन से दूरी बना लेना ही उचित है। ऐसा माना जाता है कि मांसाहार करने से रुद्राक्ष अशुद्ध होता है, जिसके कारण भविष्य में कष्ट उठाने पड़ सकते हैं।
सोते समय नहीं करें रुद्राक्ष धारण :-
किसी भी व्यक्ति को यदि उसने रुद्राक्ष धारण किया हुआ है तो सोते समय रुद्राक्ष को उतार कर ही सोना उचित है। सोते समय आप इसे उतार कर अपने तकिए के नीचे रख सकते हैं। ऐसा करने से आपको बुरे सपने आने बंद हो जाएंगे। जिन लोगों को नींद नहीं आती या सोने में दिक्कतें आती हैं, उन्हें भी इससे लाभ मिलेगा।