पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बड़े भाग मानुष तनु पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा।। श्री गुरु नानक देव जी भी कहते हैं- ‘ दुर्लभ मानुष देह। ‘श्री कबीर साहब कहते हैं- ‘ मानुष तन दुर्लभ अति मिले न बारम्बार। ‘सभी आचार्यों ने कहा मनुष्य का तन अति दुर्लभ है और क्षणभंगुर है। किसी भी समय पानी के बुलबुले की तरह फूट जायेगा। मनुष्य के दुर्लभ शरीर से भी ज्यादा दुर्लभ है ‘ बैकुंठ प्रियदर्शनम् ‘ भक्तों का ज्ञानियों का दर्शन हो जाना। बड़े भाग पाइय सत्संगा। विनहिं प्रयास होइ वह भंगा।। इस संसार में संतों का संग थोड़ी देर के लिये भी मिल जाये तो भी जीव का कल्याण हो जाता है। एक घड़ी आधी घड़ी आधी ते पुनि आध। तुलसी संगत साधु की कटे कोटि अपराध।। विदेह राज निमि ने नव योगेश्वरों से प्रश्न किया कि भगवन्! हमें वैष्णव धर्म का निरूपण करके सुनाया जाये। यदि हम सुनने के अधिकारी हैं तो कृपा करके हमें भागवत धर्म का उपदेश दीजिये, जिससे भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं और उन धर्मों का पालन करने वाले शरणागत भक्तों को अपने आप तक का दान कर डालते हैं।
नव योगेश्वरों ने कहा, राजन ! आपने बहुत सुंदर प्रश्न किया है। हम आपके प्रश्नों का उत्तर देते हैं। वैष्णव धर्म क्या है? और उसको पालन करने का फल भी क्या है? राजन ! वैष्णव धर्म एक प्रकार का राजमार्ग है, राजमार्ग अर्थात् इतना सीधा और साफ मार्ग जिस पर आंख बंद करके भी दौड़ते जाओ तो न कहीं फिसलोगे और न कहीं गिरोगे। कर्म करत होवे नीह कर्म। तिस वैष्णव का निर्मल धर्म।। काहु फल की इच्छा नहीं बांचे। केवल कथा कीर्तन मन रांचे।।सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)