सावधान: डायपर बच्चे को कर सकता है बीमार, जानें नैपी पहनाने का सही तरीका

पैरेंटिंग। बाजार में बेबी डायपर्स  के आने से मम्मियों की मुश्किल बहुत आसान हो गई है। छोटे बच्‍चे के बार-बार सूसू-पॉटी करने से के चलते दिन भर पानी में हाथ देने वाली माएं अब डायपर लगाकर चैन की नींद ले पाती हैं। बच्‍चे को नैपी पहनाकर कहीं भी बाहर ले जाना भी सुविधाजनक हो गया है। सिर्फ मम्मियां ही नहीं छोटे बच्‍चे भी इन नैपी पैड्स के चलते न खुद भीगते हैं और न ही बिस्‍तर को भिगाते हैं। ऐसे में नवजात शिशु ही नहीं यूरिन और स्‍टूल की जानकारी न दे सकने वाले सभी बच्‍चों के लिए इसका इस्‍तेमाल धड़ल्‍ले से हो रहा है। हालांकि डायपर या नैपी बच्‍चों और मां के लिए जितना सुविधाजनक है, अगर इसे पहनाने का सही तरीका न पता हो तो इसके कई नुकसान भी हो सकते हैं।

बच्‍चे को डायपर पहनाना हाइजनिक है। इससे न केवल बच्‍चा साफ-सुथरा रहता है, बल्कि उसके आसपास का एरिया, बिस्‍तर, कपड़े आदि भी साफ रहते हैं. इसके अलावा यह मांओं के लिए कंफर्टेबल भी है, क्‍योंकि बाजार से आने वाले नैपीज को साफ नहीं करना पड़ता, सीधे डिस्‍पोज कर दिया जाता है। आज डायपर पर ही एक बड़ा अमाउंट खर्च हो जाता है। ये बहुत छोटी-छोटी बातें हैं लेकिन इनकी जानकारी हर मां-बाप को होना जरूरी है।
काफी समय पहले डायपर घर पर ही बनाए जाते थे जिन्‍हें हम लंगोट या तिकोनी बोलते हैं। कुछ जगहों पर अभी ऐसा होता होगा। ये कॉटन के साफ कपड़े के बने होते थे। बच्‍चा जब भी सूसू या पॉटी करता था तो इन्‍हें साफ किया जाता था और फिर से बच्‍चे को पहनाया जाता था। हालांकि इनमें से बच्‍चे का यूरिन या स्‍टूल की नमी बाहर आ जाती थी।

 

डायपर पहनाते समय ये करते हैं गलतियां
– डॉक्‍टर के मुताबिक चूंकि अभी एक यूज के बाद फेंकने वाले डायपर हैं तो मां हो या पिता जो भी बच्‍चे को नैपी पहनाते हैं, वे ऐसी गलतियां करते हैं कि बच्‍चे को कई परेशानियां हो जाती हैं। डायपर या नैपी पहनाकर बच्‍चे को कई-कई घंटे तक छोड़ देना।
-डायपर भरने के बाद भी न उतारना या बदलना।
-2-3 साल के बड़े बच्‍चों को भी डायपर पहनाकर रखना।
-बच्‍चे के डायपर में पॉटी करने के बाद तुरंत सफाई नहीं करना।
– बच्‍चे के सूसू या पॉटी डायपर में करने के बाद उन जगहों को पानी कॉटन से साफ न करना।
-नैपी पहनाने से पहले तेल या मॉइश्‍चराइजर न लगाना।

डायपर पहनाने से बीमारियां (Side Effects of Diaper Use)
-खासतौर पर छोटी बच्चियों को डायपर पहनाने के बाद यूरिनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन के चांसेज बढ़ जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि डायपर में ही सूसू या पॉटी कर लेने और थोड़ी देर भी ऐसा ही रहने पर एसिडिक और एल्‍केलाइन वाले बैक्‍टीरिया मिल जाते हैं और संक्रमण फैला देते हैं।
-डायपर से बच्‍चों के पार्टिकुलर हिस्‍से की त्‍वचा भी खराब हो जाती है।
– ज्‍यादा देर तक डायपर पहनाए रखने से रैशेज हो जाते हैं, कई बार ये इतने बढ़ जाते हैं कि बिना डॉक्‍टरी सलाह के ठीक नहीं हो पाते।
– नैपी पहनने से बच्‍चा असहज महसूस करता है और वह चिड़चिड़ा हो जाता है। ज्‍यादा रोता है।
-लंबे समय तक डायपर पहनने वाले बच्‍चे सूसू-पॉटी की जानकारी देना देरी से सीखते हैं, ऐसे बच्‍चों को अगर डायपर न पहनाया जाए तो वे बिना बताए कहीं भी स्‍टूल या यूरिन पास कर देते हैं।
अगर बच्‍चा चलना सीख गया है तो उसको डायपर पहनाने से उसे चलने में कठिनाई हो सकती है। वह बार-बार गिर सकता है। उसकी चाल में भी अंतर आ सकता है।

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