गुरु को सच्चा हितैषी मानकर, श्रद्धा से करें उनकी सेवा: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् श्री कृष्ण श्रीमद्भागवत महापुराण के ग्यारहवें स्कंध में श्री उद्धव जी से कहते हैं कि गुरु ही सच्चा भाई व बंधु है और वह गुरु मैं हूँ। हम संसार के रिश्ते नातों को पकड़े बैठे हैं और उन्हें सच्चा मानते हैं, परंतु ये नाते व्यक्ति को बहिर्मुखी बनाते हैं जबकि गुरु ज्ञान के द्वारा शिष्य को अंतर्मुखी बनाते हैं, स्वयं से और अंत में प्रभु से मिला देते हैं। शास्त्र घोषणा कर रहे हैं कि जन्म देने वाले माता-पिता से आजीविका देने वाला श्रेष्ठ होता है और उससे भी श्रेष्ठ माता और इन सबसे श्रेष्ठ गुरु होता है जो आत्मज्ञान प्रदान करता है। ईश्वर जब कृपा करते हैं तो जीव को मानव तन देते हैं, उसके मन में मोक्ष की इच्छा जागृत करते हैं और अंत में स्वयं गुरु बनकर उसका मार्गदर्शन करते हुए उसे साक्षात्कार का सुख प्रदान करते हैं। जैसे सूर्य अपना दर्शन, अपनी ही किरण अथवा प्रकाश से कराते हैं इसी प्रकार ईश्वर गुरु के माध्यम से अपना दर्शन कराते हैं। अतः गुरु को सच्चा हितैषी मानकर, श्रद्धा से उनकी सेवा करें और ज्ञान प्राप्त करें। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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