नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत और शिंदे सरकार के गठन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट का मामला सात जजों की बड़ी बेंच को सौंप दिया है। बता दें कि 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे धड़ों की ओर की याचिकाएं दायर की गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे घटनाक्रम को लेकर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल की भूमिका को लेकर जरूर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने कानून के तहत काम नहीं किया। कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर उद्धव ठाकरे फ्लोर टेस्ट का सामना करते और इस्तीफा नहीं देते तो आज स्थिति कुछ और ही होती।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर की भूमिका को लेकर भी टिप्पणी की। कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने इस पूरे मामले को सही से नहीं लिया। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि चूंकि उद्धव ठाकरे ने बहुमत परीक्षण का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया, ऐसे में पुरानी स्थिति बहाल नहीं हो सकती है।
उद्धव गुट ने बागी हुए शिंदे सहित 15 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सात जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दिया। हालांकि, जब तक बेंच का फैसला नहीं आता है तब तक विधानसभा अध्यक्ष को फैसला लेने के लिए कहा। हालांकि, ये तय नहीं है कि वह कब तक फैसला लेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने चीफ व्हिप को लेकर भी बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि विधायक चीफ व्हिप तय नहीं कर सकते। ये पार्टी का फैसला होगा। कोर्ट की ये टिप्पणी शिंदे गुट के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट का मामला सात जजों की बड़ी बेंच को सौंप दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आगे की सुनवाई सात जजों की बेंच करेगी।