पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी पराम्बा भगवती का स्मरण, पूजन और वंदन करते हैं। एक बार ब्रह्मा जी नारायण के पास गये और देखा कि वह किसी का ध्यान कर रहे थे। ब्रह्मा जी ने पूछा- संसार आपका ध्यान करता है, आप किसका ध्यान करते हैं? नारायण ने कहा- मैं पराम्बा, महामाया आदिशक्ति का स्मरण करता हूं। वही से शक्ति पाकर हम संसार का पालन करते हैं, आप विश्व को उत्पन्न करते हैं और प्रलय काल में भगवान शंकर संहार करते हैं। रूद्र को संहार की शक्ति, विष्णु को पालन की शक्ति और ब्रह्मा को सृजन शक्ति पराम्बा भगवती से ही मिलती है। वेदान्तियों के पास ब्रह्मविद्या के रूप में भगवती का ही स्मरण होता है। भक्त, भक्ति के रूप में शक्ति का ही स्मरण करते हैं। संसार का सारा कार्य शक्ति के द्वारा संचालित है। तार में यदि पावर नहीं है, तब तार का कोई महत्व नहीं है। लाइट, माइक और पंखे सब बंद हो जायेंगे। बिना पावर के संसार शून्य है।इसी प्रकार शक्ति के बिना सब शून्य है। मां भगवती के द्वारा ही जीवों का पालन पोषण होता है।श्रीमद्देवीभागवत महापुराण में पराम्बा भगवती ने स्वयं कहा है कि- देवताओं मेरे द्वारा ही सूर्य में प्रकाश देने की शक्ति है, अग्नि में दाहिका-शक्ति है,वायू में प्राणशक्ति है और हर व्यक्ति में मेरी शक्ति है। पालक खोलने में भी शक्ति चाहिए, बोलने में भी शक्ति चाहिए और कार्य करने में भी शक्ति चाहिए। आज ये जितने कल कारखाने चल रहे हैं सब- विद्युत-शक्ति से चल रहे हैं।
इस प्रकार विद्युत भी शक्ति है। बड़ी सुंदर बात माँ ने यह कही, जो विचार करने योग्य है। मां यह कहती है कि जब कोई व्यक्ति कमजोर, बीमार या बहुत बृद्ध हो जाय, तब उससे कहा जाए कि दौड़ो। तब वह कहेगा कि दौड़ने की शक्ति नहीं है। यह बोझा उठाओ, तब वह कहेगा कि बोझा उठाने की शक्ति नहीं रही। वह यह नहीं कहेगा कि मुझमें ब्रह्मा नहीं रहे, मुझमें विष्णु नहीं रहे या शंकर नहीं रहे, साकार नहीं रहे या निराकार नहीं रहे- ऐसा नहीं कहता। वह कहता है मुझमें शक्ति नहीं रही। इसका मतलब है कि ब्रह्मा-विष्णु सब तुम्हारे साथ हों, लेकिन शक्ति तुम्हारे साथ न हो, तब आप कुछ कर ही नहीं सकते। सारा का सारा व्यवहार, सारा का सारा कार्य शक्ति से ही होता है। सोचने में शक्ति लगती है, सुनकर उसे आत्मसात् करने में भी स्मरण शक्ति की जरूरत पड़ती है। भोजन करके पचाने में भी शक्ति की जरूरत पड़ती है। कहां तक कहा जाए? यह संपूर्ण विश्व प्रपंच शक्ति के द्वारा ही संचालित है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।