Shani Vakri 2023: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का एक विशेष महत्व होता है। तथा ये समय-समय पर अपनी चाल में परिवर्तन करते रहते है। जिसे वक्री होना भी कहा जाता है। आपको बता दें कि मृत्युलोक के दंडाधिकारी भगवान शनि 17 जून की रात्रि 10 बजकर 52 मिनट पर वक्री हो रहे हैं। इसी वक्री अवस्था में ही चलते हुए ये 4 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर पुनः मार्गी होंगे। इनका एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने से कई राशि के जातको को शुभ तो वही कई राशि के जातको को अशुभ प्रभाव देखने को मिलता है। ये ना सिर्फ आर्थिक और शारीरिक रूप से कई राशियों को प्रभावित करते हैं। वहीं मानसिक रूप से भी इनका सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। तो चलिए जानते है कि सभी राशि के जातको पर शनि के वक्री होने कैसा प्रभाव पड़ने वाला है।
मेष राशि – मेष राशि से एकादश लाभ भाव में गोचर करते हुए वक्री शनिदेव आय के साधन तो बढ़ाएंगे ही कार्यक्षेत्र का विस्तार भी करेंगे। नए लोगों से मेलजोल बढ़ेगा। उच्चाधिकारियों से संबंध मजबूत होंगे किंतु परिवार के वरिष्ठ सदस्यों तथा बड़े भाईयों से मत भिन्नता रहेगी। संतान संबंधी चिंता परेशान कर सकती है। प्रेम संबंधी मामलों में भी उदासीनता रहेगी। प्रतियोगी छात्रों को परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए और प्रयास करने होंगे।
वृषभ राशि – वृषभ राशि से दशम कर्म भाव में गोचर करते हुए वक्री शनि कार्यक्षेत्र का विस्तार तो करेंगे किंतु अति व्यस्तता के कारण शारीरिक थकान का सामना भी करना पड़ेगा। माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें। योजनाओं को गोपनीय रखते हुए कार्य करेंगे तो अधिक सफल रहेंगे। किसी कारणवश कार्य संपन्न होने में थोड़ा समय लगे तो परेशान न हों। जमीन-जायदाद संबंधी विवाद हल होंगे। वाहन के क्रय का भी योग बन रहा है।
मिथुन राशि – मिथुन राशि से नवम भाग्य भाव में गोचर करते हुए वक्री शनिदेव का फल शुभ ही रहेगा। धर्म और अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी। लिए गए निर्णय और किए गए कार्यों की सराहना होगी। छोटे भाइयों से मतभेद बढ़ने न दें। धार्मिक ट्रस्टों तथा अनाथालय आदि में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे और दान-पुण्य करेंगे। माता-पिता से रिश्ते बिगड़ने न दें। यात्रा देशाटन का लाभ मिलेगा। विदेशी कंपनियों में सर्विस एवं नागरिकता के लिए प्रयास भी सफल रहेगा।
कर्क राशि – कर्क राशि से अष्टम आयु भाव में गोचर करते हुए वक्री शनिदेव का प्रभाव बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता। स्वास्थ्य के प्रति अति सावधान रहने की आवश्यकता है। कार्यक्षेत्र में भी षड्यंत्र का शिकार होने से बचें। पैतृक संपत्ति संबंधी विवाद गहरा सकता है। किसी भी तरह के झगड़े-विवाद को कोर्ट कचहरी से बाहर ही सुलझा लेना समझदारी रहेगी। आपके अपने ही लोग नीचा दिखाने की कोशिश कर सकते हैं सावधान रहें।
सिंह राशि – सिंह राशि से सप्तम दांपत्य भाव में गोचर करते हुए वक्री शनिदेव वैवाहिक वार्ता में थोड़ा और विलंब लाएंगे। ससुराल पक्ष से रिश्ते बिगड़ने न दें। साझा व्यापार करने से दूर रहें। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में प्रतीक्षित कार्यों में थोड़ा और विलंब होगा। इस अवधि में आपके धैर्य और संयम की परम आवश्यकता है। विवादों से दूर रहें और कोर्ट-कचहरी से संबंधित मामले भी बाहर ही सुलझाएं। स्वास्थ्य विशेषकर के जोड़ों में दर्द से सावधान रहें।
कन्या राशि – कन्या राशि से छठे शत्रु भाव में गोचर करते हुए वक्री शनिदेव का प्रभाव आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। कोई भी बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करना चाहें, नया व्यापार करना चाहें अथवा किसी नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना चाहें तो यह अवसर उत्तम रहेगा। ननिहाल पक्ष से किसी अप्रिय समाचार का सामना करना पड़ सकता है। कष्टकारक यात्रा भी करनी पड़ सकती है। इस अवधि के मध्य अधिक कर्ज के लेन-देन से बचें।
तुला राशि – तुला राशि से पंचम विद्या भावमें गोचर करते हुए वक्री शनिदेव का प्रभाव काफी मिलाजुला रहेगा। कार्य व्यापार की दृष्टि से तो समय उत्तम रहेगा किंतु प्रेमसंबंधी मामलों में उदासीनता रहेगी। प्रेम विवाह में भी अड़चन आ सकती हैं। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों को परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए और प्रयास करने होंगे। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों तथा बड़े भाईयों से मतभेद बनने न दें। शीर्ष नेतृत्व से भी सहयोग के योग हैं।
वृश्चिक राशि – वृश्चिक राशि चतुर्थ सुख भाव में गोचर करते हुए वक्री शनिदेव मित्रों तथा संबंधियों से अप्रिय समाचार का सामना करवा सकते हैं। जो कार्य सहजता से हो जाने चाहिए थे उसमें थोड़ा और संघर्स तथा विलंब होगा। यात्रा सावधानीपूर्वक करें। सामान चोरी होने से बचाएं। जमीन जायदाद से जुड़े मामले हल होंगे। माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें। सरकारी टेंडर के लिए आवेदन करना हो तो उस दृष्टि से भी ग्रह-गोचर अपेक्षाकृत बेहतर रहेगा।
धनु राशि – धनु राशि से तृतीय पराक्रम भाव में गोचर करते हुए वक्री शनिदेव बेहतरीन सफलता दिलाएंगे। साहस पराक्रम की वृद्धि तो होगी ही लिए गए निर्णय और किए गए कार्यों की सराहना होगी। अपनी ऊर्जाशक्ति के बलपर कठिन परिस्थितियों पर भी आसानी से नियंत्रण पा लेंगे। आध्यात्मिक विकास होगा। विदेश यात्रा का भी योग बनेगा। किसी दूसरे देश के लिए वीजा आदि का आवेदन करना हो तो उस दृष्टि से भी ग्रह गोचर अनुकूल रहेगा।
मकर राशि – मकर राशि से द्वितीय धन भाव में गोचर करते हुए वक्री शनिदेव कई तरह के अप्रत्याशित आर्थिक लाभ दिला सकते हैं। काफी दिनों का दिया गया धन भी वापस मिलने की उम्मीद। व्यापारिक पक्ष मजबूत रहेगा किंतु कहीं न कहीं पारिवारिक कलह और मानसिक अशांति का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य विशेष करके दाहिनी आंख से संबंधित समस्या से सावधान रहें। व्यर्थ विवादों से दूर ही रहें। संपत्ति संबंधी विवाद आपस में सुलझाएं।
कुंभ राशि – अपनी ही राशि में गोचर करते हुए वक्री शनिदेव सामान्य फल कारक ही रहेंगे। अत्यधिक खर्च के कारण आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। वैवाहिक वार्ता में थोड़ा और समय रहेगा किंतु कार्य व्यापार की दृष्टि से समय अपेक्षाकृत बेहतर रहेगा। किसी भी तरह के सरकारी टेंडर के लिए आवेदन करना चाह रहे हों तो उस दृष्टि से भी ग्रह-गोचर अनुकूल रहेगा। अपने आवेश को नियंत्रित रखते हुए कार्य करेंगे तो अधिक सफल रहेंगे।
मीन राशि – मीन राशि से बारहवें व्यय भाव में गोचर करते हुए वक्री शनि देव का प्रभाव बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता इसलिए हर कार्य तथा निर्णय बहुत सावधानी पूर्वक करने की आवश्यकता है। भावनाओं में बहकर लिया गया निर्णय नुकसानदेह सिद्ध होगा। यात्रा सावधानीपूर्वक करें। वाहन दुर्घटना से बचें। इस अवधि के मध्य किसी को भी अधिक धन भी उधार के रूप में न दें अन्यथा वहां भी आर्थिक रूप से नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।