G20 Summit: राजधानी दिल्ली में 8 सितंबर से होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के लिए पूरी तैयारियां कर ली गई है। वहीं, आज से दिल्ली में जी 20 देशो के मेहमानों का आज से आगमन होना शुरू हो गया है। इन तीन दिनों के शिखर सम्मेलन में दिल्ली से पूरी दुनिया भारत की झलक देखेगी। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी वेबसाइट पर एक ब्लॉग लिखा है, जिसका शीर्षक- ‘मानव-केंद्रित वैश्वीकरण: हमें जी20 को दुनिया के अंतिम छोर तक ले जाना है, किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना है’
‘वसुधैव कुटुम्बकम’- हमारी भारतीय संस्कृति के इन दो शब्दों में एक गहरा दार्शनिक विचार समाहित है। इसका अर्थ है, ‘पूरी दुनिया एक परिवार है।’ यह एक ऐसा सर्वव्यापी दृष्टिकोण है जो हमें एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक ऐसा परिवार जिसमें सीमा, भाषा और विचारधारा का कोई बंधन ना हो। जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान, यह विचार मानव-केंद्रित प्रगति के आह्वान के रूप में प्रकट हुआ है। हम One Earth के रूप में, मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक साथ आ रहे हैं। हम One Family के रूप में विकास के लिए एक-दूसरे के सहयोगी बन रहे हैं और One Future के लिए हम एक साझा उज्जवल भविष्य की ओर एक साथ आगे बढ़ रहे हैं। कोरोना वैश्विक महामारी के बाद की विश्व व्यवस्था इससे पहले की दुनिया से बहुत अलग है। कई अन्य बातों के अलावा, तीन महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं।
#WATCH | Sculptures placed at the Bhairon Road near the Bharat Mandapam, depicting glimpses of Indian music. pic.twitter.com/zh2XpB57WU
— ANI (@ANI) September 7, 2023
पहला, इस बात का एहसास बढ़ रहा है कि दुनिया के जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बढ़ने की आवश्यकता है। दूसरा, दुनिया ग्लोबल सप्लाई चेन में सुदृढ़ता और विश्वसनीयता के महत्व को पहचान रही है। तीसरा, वैश्विक संस्थानों में सुधार के माध्यम से बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने का सामूहिक आह्वान सामने है। जी-20 की हमारी अध्यक्षता ने इन बदलावों में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है।
दिसंबर 2022 में जब हमने इंडोनेशिया से अध्यक्षता का भार संभाला था, तब मैंने यह लिखा था कि जी-20 को मानसिकता में आमूल-चूल परिवर्तन का वाहक बनना चाहिए। विकासशील देशों, ग्लोबल साउथ के देशों और अफ्रीकी देशों की हाशिए पर पड़ी आकांक्षाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए इसकी विशेष आवश्यकता है।
इसी सोच के साथ भारत ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ का भी आयोजन किया था। इस समिट में 125 देश भागीदार बने। यह भारत की अध्यक्षता के तहत की गई सबसे महत्वपूर्ण पहलों में से एक रही। यह ग्लोबल साउथ के देशों से उनके विचार, उनके अनुभव जानने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। इसके अलावा, हमारी अध्यक्षता के तहत न केवल अफ्रीकी देशों की अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी देखी गई है, बल्कि जी-20 के एक स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने पर भी जोर दिया गया है।