Ayodhya: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के बड़ा भक्तमाल मंदिर में विराजमान भगवान सीता वल्लभ को सोने का मुकुट और छत्र धारण कराया. इसके बाद आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया. इन दौरान उन्होंने कहा कि एक लंबे संघर्ष के बाद मंदिर आंदोलन एक निर्णायक स्थिति में बदलकर रामराज की आधारशिला पुष्ट करते हुए उसके गुणगान के लिए तैयार हो रहा है. अयोध्या कैसी होनी चाहिए… यह इसकी शुरुआत है. 500 वर्षों तक चले लंबे संघर्ष के बाद रामलला 22 जनवरी को विराजमान होने वाले हैं. प्रधानमंत्री मोदी राम मंदिर का उद्घाटन करने आ रहे हैं. ऐसे में अयोध्या वासियों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है.
आज एक नए भारत का दर्शन हो रहा
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों का बलिदान और उनकी भावनाएं आज सिद्धि को प्राप्त कर रही हैं. प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को सफल बनाने और उसे ऊंचाई तक ले जाने के लिए अयोध्या वासियों को जिम्मेदारी संभालनी होगी. उन्होंने कहा कि आज एक नए भारत का दर्शन हो रहा है. पहले लोग हिंदू और भारतीय बोलने में संकोच करते थे. लेकिन आज हर व्यक्ति सनातन और भारतीयता के प्रति सम्मान का भाव रखता है. यह जो दृष्टिकोण बदला है इसमें हम क्या योगदान दे सकते हैं. यह हमें समझना होगा.
दीपोत्सव में आए 52 देशों के राजदूत
अपने संबोधन में सीएम योगी ने कहा कि भविष्य में कई कार्यक्रम होने जा रहे हैं बड़ा भक्तमाल में मुकुट अर्पण का समारोह भविष्य के कार्यक्रम की आधारशिला है. अयोध्या के सुंदरीकरण की योजना को भी इससे बल मिला है. भगवान राम साक्षात धर्म के स्वरूप हैं मानवीय जीवन के सभी हिस्से राम के आदर्शों से प्रेरणा प्राप्त करते हैं. कहा कि अयोध्या हमेशा से सेवा के प्रति समर्पण की मिसाल रहा है. नर सेवा ही नारायण सेवा है, यह यहां के धार्मिक आयोजनों में दिखती है. 22 जनवरी के बाद अयोध्या में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे ऐसे में अयोध्या को आतिथ्य सत्कार का एक आदर्श प्रस्तुत करना होगा. यही प्रभु के महायज्ञ में हम सब की आहुति होगी. जो भी यहां आए आतिथ्य से प्रभावित होकर जाए, यह संदेश अयोध्या से जाना चाहिए.
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