Weather Report: देश में इस साल गर्मी जल्द ही दस्तक देने वाली है. होली यानी 25 मार्च के बाद से ही उत्तर और मध्य क्षेत्रों के कई राज्यों में लू का असर देखने को मिल सकता है. अभी से ही दक्षिण भारत के तापमान में वृद्धि हो रही है. ये वृद्धि पिछले दो हफ्ते से हो रही है. हालात ये है कि दक्षिण भारत के सभी राज्यों से महाराष्ट्र और ओडिशा तक दिन का तापमान 4-6 डिग्री तक ज्यादा यानी 33 डिग्री से ऊपर दर्ज हो रहा है. मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले दो वर्षों से फरवरी के तीसरे हफ्ते से तापमान बढ़ने का ट्रेंड दिख रहा है. लेकिन इस बार तापमान में फरवरी के पहले हफ्ते से ही बढ़ोत्तरी होने लगी है.
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि 2023 में तीन मार्च से दक्षिण भारत में लू की शुरुआत हुई थी, जो मई के तीसरे हफ्ते तक रही थी. वहीं 2022 में 11 मार्च से लू की शुरुआत हुई थी, जो जून के पहले हफ्ते तक जारी थी. पिछले दो वर्षों से उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में प्री मानसून सीजन में तापमान बढ़ोतरी को जो ट्रेंड है, वह इस बार भी जारी रह सकता है. देश फिलहाल मौसमी चक्र से गुजर रहा है, जब ठंडी खत्म होते ही बिना बसंत के सीधे गर्मी आ रही है. अल नीनो के वजह से प्रशांत महासागर ही नहीं, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनां की सतह का तापमान बीते एक वर्ष से सामान्य की तुलना में अधिक है.
मौसम विभागों के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ सामान्य रूप से अक्टूबर से फरवरी के दौरान ही आते हैं. इनकी सक्रियता से पहाड़ों पर बर्फबारी व उत्तर से लेकर मध्य भारत तक मैदानी इलाकों में झमाझम बारिश होती है. हालांकि इस साल 21 पश्चिमी विक्षोभ अक्टूबर से जनवरी के बीच ही आ गए हैं. इनमें से महज केवल चार ही सक्रिय रहे. इस मौसमी तंत्र के चलते उत्तर भारत ही नहीं, बल्कि मध्य भारत में बारिश हुई.
Weather Report: जानिए क्यों 2024 में पड़ेगी सबसे अधिक गर्मी
गर्मी बढ़ने के साथ तापमान में परिवर्तन होगा, जिससे खेती का कार्य प्रभावित हो सकता है. इससे खाद्य कमी की समस्या भी आ सकती है. विश्व मौसम संस्थान (डब्ल्यूएमओ) ने जलवायु परिवर्तन एवं अल नीनो के प्रभाव से यह समस्या उत्पन्न होने की आशंका जताई है. जिन इलाकों में हीट वेव होता है, वहां इसका सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा.
डब्ल्यूएमओ के साथ अमेरिकी अनुसंधान संस्था नासा के वैज्ञानिकों ने भी साल 2024 में मौसम की स्थिति को लेकर सतर्कता जारी किया है. वर्ष 2016 की तुलना में 2023 सबसे गर्म वर्ष रहा है और 2024 में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ने की जानकारी नासा की ओर से दी गई है. संस्थान के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन एवं अल नीनो के प्रभाव से विश्व में इस तरह की स्थिति बन रही है. मौसम विशेषज्ञों की मानें तो वर्तमान समय में अल नीनो सक्रिय है. इसके प्रभाव से ही तापमान में वृद्धि जैसे बदलाव देखने को मिल रहे हैं. यह अगले वर्ष अप्रैल महीने तक सक्रिय रहने का 90 प्रतिशत अनुमान है. अल नीनो बनने के चलते पिछला मानसून भी प्रभावित हुआ है.
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