Surya Tilak: हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, त्रेता युग में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मध्याह्न बेला में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ था. इस साल रामनवमी का पर्व 17 अप्रैल को मनाया जा रहा है. इसके लिए अयोध्या स्थित राम मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया है. इसके साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामलला का सूर्य तिलक (Surya Tilak) भी किया गया.
रामलला के सूर्य तिलक के लिए वैज्ञानिकों ने दर्पण, लेंस और पीतल पाइप को कुछ इस प्रकार से व्यवस्थित किया था कि तीसरे मंजिल पर पड़ने वाले सूर्य की किरण का परावर्तन सीधे गर्भ गृह में स्थित रामलला के ललाट पर पड़ें. लेकिन क्या आपको पता है कि मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित राम मंदिर में सूर्य तिलक करने की परंपरा सदियों पुरानी है? यदि नहीं, तो चलिए जानते है इसके बारे में पूरे विस्तार से…
Surya Tilak: कहां है राम मंदिर ?
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश स्थित विदिशा जिले के पेढ़ी चौराहा पर भगवान राम का भव्य मंदिर है. इस मंदिर में बीते 280 वर्षों से मध्याह्न बेला में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक किया जाता है, क्योंकि पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मध्याह्न बेला में ही भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ है.
दरअसल, इस मंदिर की स्थापना 18वीं शताब्दी में की गई है. उस समय राम भक्तों ने देशभर में सैकड़ों की संख्या में राम मंदिर बनवाए थे. इस मंदिर को अयोध्या के महान संत राजाराम को दान में दिए गया था. इनमें विदिशा स्थित राम मंदिर में स्थापित प्रभु श्रीराम की पूजा-सेवा की जिम्मेवारी संत राजाराम ने स्वयं ली थी और तभी से भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक किया जाता है.
Surya Tilak: कैसे किया जाता है सूर्य तिलक ?
दरअसल, समर्थ मठ श्रीराम मंदिर में दोपहर 12 बजे भगवान राम की जन्मोत्सव आरती की जाती है. इसी दौरान मंदिर के प्रांगण में स्थित चबूतरे पर एक साधक दर्पण लेकर खड़ा रहता है. यह दर्पण ढाई फिट लंबा और एक फिट चौड़ा है. इस दर्पण पर सूर्य की किरणें उतरती हैं और दर्पण के माध्यम से सूर्य के किरणों को मंदिर के गर्भ गृह में पहुंचाकर भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक किया जाता है. इस दौरान भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक करीब 15 मिनट तक किया जाता है.
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