Ramban: रामबन जिले में आई प्राकृतिक आपदा ने भयावह तबाही मचाई है. इलाके में भारी बारिश-ओलावृष्टि और भूस्खलन से 80 फीसदी से अधिक फसलें बर्बाद हो चुकी है, जबकि 10 हजार से ज्यादा मवेशियों की मौत हो गई है. 85 घर और 45 से अधिक दुकानें ध्वस्त हुई हैं. इसके साथ ही संचार व्यवस्था भी पूरी तरह से ठप हो चुका है.
इतना ही नहीं, 85 में से 28 फीडर प्रभावित हुए हैं. 1762 ट्रांसफार्मर में से 945 जलने के कारण बिजली सप्लाई बाधित हो गई है, जिससे लोगों का जीवन-यापन और भी मुश्किल हो गया है. वहीं, पहाड़ों से गिरे मलबे से जगह-जगह जम्मू-श्रीनगर हाईवे बंद हो गया है, जिसे खोलने के लिए अभी एक सप्ताह और लग सकता है. यही वजह है कि वहां राहत कार्य भी देरी हो रही है.
सबसे अधिक प्रभावित हुए किसान
फिलहाल, मलबा हटाने और राहत पहुंचाने के लिए एक दर्जन टीमें लगी हुई हैं, वहीं, सेना के जवान भी मदद के लिए आगे आए हैं. इस प्राकृतिक आपदा का सबसे ज्यादा कहर किसानों पर टूटा है. उनके 10 हजार से ज्यादा मवेशियों के साथ ही 80 फीसदी फसलें बर्बाद हो गई हैं. उनके आशियाने भी बिखर गए है, रोटी के लिए भी उनको प्रशासन की राहत का मोहताज होना पड़ रहा है, लेकिन हाईवे और अन्य सड़कें क्षतिग्रस्त होने से बहुत लोगों तक कड़ी मश्क्कत के बाद भी मदद नहीं मिल पहुंच पा रही है. हालांकि प्रभावित लोगों ने सरकार से विशेष पैकेज की गुहार लगाई है.
रामबन में भीषण तबाही
28 फीडर प्रभावित हुए हैं, 945 ट्रांसफार्मर जलें.
71 सड़कों पर आवागमन बंद.
43 पेयजल परियोजनाएं बाधित.
85 घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं. 165 घर क्षतिग्रस्त.
45 दुकानें पूरी तरह से बर्बाद गई हैं. 55 दुकानों को आंशिक क्षति.
120 प्राइवेट वाहनों और 80 कॉमर्शियल वाहनों को नुकसान.
400-500 मीट्रिक टन फलों का नुकसान.
1250 हेक्टेयर में गेहूं की फसल बर्बाद.
700 हेक्टेयर सरसों और अन्य तिलहन फसलों को नुकसान.
राहत कार्य
फिलहाल, जिले में राहत कार्य जारी है, प्रशासन प्रभावित लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है. मेडिकल इमरजेंसी के लिए जिले में 26 एंबुलेंस लगाई गई हैं. इसके साथ ही सेना ने भी राहत कार्य में मदद के लिए अपने जवानों को तैनात किया है. जो प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर लोगों को राहत सामग्री वितरित कर रहे हैं, उनकी मदद कर रहे हैं.
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