Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि परमात्मा का अर्थ है परम अस्तित्व। ‘ सर्वं खलु इदं ब्रह्म’ भगवान शंकराचार्य जी कहते हैं विवेक चूड़ामणि में कि सब कुछ ब्रह्म है, ब्रह्म के सिवा कुछ भी नहीं है। इसलिये निराकार साकार सब कुछ परमात्मा के ही स्वरूप हैं।
पदार्थ विज्ञान कहता है कि- पदार्थ के तीन रूप होते हैं।वायु (गैस), द्रव (लिक्विड) और घन (सॉलिड) घन और द्रव रूप हम अपनी आंखों से देख सकते हैं। वे सरकार है। वायु दिखाई नहीं देती फिर भी वह है। वह निराकार है। श्री रामचरितमानस में कहा गया है-
‘अगुन सगुन दुइ ब्रह्म सरूप।’
निर्गुण सगुण दोनों ही ईश्वर के रूप हैं।
ज्यादातर ज्ञानी निराकार ब्रह्म स्वरूप बन जाते हैं और मुक्त हो जाते हैं। भक्त सगुण साकार की उपासना करते हैं। निराकार में मन लगाना कठिन है। श्रीमद्भगवद्गीता के बारहवें अध्याय में भगवान कहते हैं-
‘अव्यक्ता हि गतिर्दुःखं देहवद्भिः भरवाप्यते।’
शरीर धारी के लिए अव्यक्त में मन लगाना कठिन है।
इस संसार में सभी का अनुभव यही है कि लोग गुणों का पूजन करते हैं, गुणों की प्रशंसा करते हैं, चाहे वह गुण, रूप हो, ज्ञान हो, शक्ति या सामर्थ्य हो, सत्ता या संपत्ति हो, कोई अच्छा स्वभाव देखकर प्रेम करता है और कोई अपने पर उपकार करने वाले से प्रेम करता है। भगवान के सगुण साकार स्वरूप के अनंत गुणों से मन प्रभावित होकर किसी न किसी गुण में लग जाता है। इसीलिए सगुण साकार की उपासना आसान बतायी जाती है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।