कब और क्यों फटते हैं बादल, कैसे करें बचाव, जानिए सबकुछ

Cloudburst: कई प्राकृतिक घटनाएं ऐसी हैं जो सिर्फ हमें डराती ही नहीं बल्कि, नुकसान भी पहुंचाती हैं। हर साल बारिश का सीजन आते ही कई तरह की आपदाएं भी आती हैं। इसमें बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने (Cloudburst) जैसी घटनाएं होती हैं। इन सभी आपदाओं में काफी जनहानि होती है। बाढ़ से लाखों घर डूब जाते हैं। खेती-किसानी और जानवरों को भी काफी नुकसान पहुंचता है। तेज बारिश के चलते पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन की घटनाएं सामान्य हो जाती हैं। इससे यातायात प्रभावित हो जाता है। भूस्खलन के चलते कई लोग इसकी चपेट में भी आ जाते हैं।

बादल फटना एक मौसमी घटना

बादल फटना एक ऐसी मौसमी घटना है, जिसमें अचानक और बहुत कम समय में किसी क्षेत्र में भारी मात्रा में बारिश होती है। यह आमतौर पर कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक चलती है, लेकिन इसका प्रभाव बेहद विनाशकारी हो सकता है। इसके चलते बाढ़, भूस्खलन और जान-माल का काफी नुकसान होता है।

आखिर कब फटते हैं बादल?

बादल फटने की घटनाएं ज्यादातर मानसून के मौसम यानी बारिश के सीजन (जून से सितंबर) में होती हैं। जब वातावरण में नमी की मात्रा अधिक होती है। यह पहाड़ी क्षेत्रों जैसे हिमालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में अधिक आम है। समतल क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं कम होती हैं। बादल फटने की घटना अचानक और अप्रत्याशित रूप से होती है। अक्सर दोपहर या रात में बादल फटते हैं। जब वातावरण में नमी और गर्मी का स्तर चरम पर होता है, तभी बादल फटते हैं।

बादल फटने का कारण
  • नमी से भरे बादल: जब गर्म हवा नमी से भरे बादलों को ऊपर की ओर धकेलती है, तो ये बादल ठंडी हवा के संपर्क में आकर तेजी से ठंडे होते हैं। इससे बादल में मौजूद जलवाष्प तेजी से पानी की बूंदों में बदल जाती है, जिससे भारी बारिश होती है।
  • पहाड़ी भू-संरचना: पहाड़ों की ढलानों के कारण हवा ऊपर की ओर चढ़ती है जिससे बादल बनते हैं और तेजी से बारिश छोड़ते हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में हवा का प्रवाह संकुचित होने से बादल एक जगह जमा हो जाते हैं, जिससे बादल फटने की स्थिति बनती है।
  • कम दबाव का क्षेत्र: मानसून के दौरान कम दबाव वाले क्षेत्रों में गर्म और नम हवाएं तेजी से ऊपर उठती हैं, जिससे बादल फटने की घटना को बढ़ावा मिलता है।
  • तापमान का अंतर: गर्म और ठंडी हवाओं का टकराव बादल फटने का एक प्रमुख कारण है। गर्म हवा में अधिक नमी होती है, जो ठंडी हवा के संपर्क में आने पर तेजी से बारिश बनकर गिरती है।
  • जलवायु परिवर्तन: बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की कई घटनाएं हो रही हैं। इसमें बादल फटना, बाढ़ आन शामिल है। साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण अब पहाड़ों में भी रिकॉर्ड गर्मी पड़ रही है।
बादल फटने की घटना से कैसे करें बचाव?
  • मौसम पूर्वानुमान: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और अन्य एजेंसियां ऐसी घटनाओं की चेतावनी जारी करती हैं। इन चेतावनियों पर ध्यान देना जरूरी है।
  • निगरानी और प्रबंधन: पहाड़ी क्षेत्रों में जल निकासी और बांध प्रबंधन को बेहतर करना होगा। ताकि किसी भी प्रकार के बादल फटने की घटना में अचानक से पानी का जलजमाव न हो।
  • जागरूकता: स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने और आपातकालीन योजनाओं के बारे में शिक्षित करना होगा। मौसम विभाग मोबाइल पर पहले से ही टेक्सट मैसेज भेज कर चेतावनी जारी करती है। इसका ध्यान रखना होगा।
  • बादल फटना प्रकृति की एक शक्तिशाली और अप्रत्याशित घटना है, जिसका प्रभाव कम करने के लिए समय रहते सावधानी और तैयारी जरूरी है।

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