अन्नदाताओं की आय दोगुनी करने को संकल्पित योगी सरकार, वाराणसी में बनाए गए 699 उर्वरक बिक्री केंद्र

UP: अन्नदाताओं की आय दोगुनी करने के योगी सरकार के संकल्प पर इंद्रदेव भी मेहरबान हैं.  इस वर्ष मानसून पहले आने और विगत 5 वर्षों के सापेक्ष इस बार औसत से अच्छी वर्षा होने के कारण किसानों द्वारा कृषि कार्य समय से प्रारंभ किया गया है.  इसके चलते उर्वरक की मांग भी जल्दी बढ़ गई.  योगी सरकार खाद की आपूर्ति की तैयारियों के साथ पहले से ही मुस्तैद है.  खरीफ सत्र में पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष अभी तक 3130 मीट्रिक टन अधिक यूरिया का प्रयोग कृषकों के द्वारा किया गया.  योगी सरकार किसानों द्वारा उर्वरक की मांग के मुताबिक लगातार सप्लाई बनाई हुई है.  

जिला कृषि अधिकारी संगम सिंह ने बताया कि जनपद वाराणसी में इस खरीफ सीजन में यूरिया की खपत में वृद्धि दर्ज की गई है. 14 अगस्त 2025 तक जिले में 14,560 मीट्रिक टन यूरिया का वितरण किसानों  को किया जा चुका है, जो विगत वर्ष 2024 में इसी अवधि तक वितरित 11, 430 मीट्रिक टन की तुलना में 3,130 मीट्रिक टन अधिक है. यह वृद्धि 69, 548 बोरी यूरिया के बराबर है. जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि विभाग द्वारा किसानों की मांग को पूरा करने के लिए उर्वरक की कमी नहीं है. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उर्वरकों की कालाबाजारी न हो और सभी किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार यूरिया उपलब्ध हो.

जिला कृषि अधिकारी बताते हैं कि इस वृद्धि का मुख्य कारण इस बार मानसून का समय से पहले आगमन और पिछले पांच वर्षों की तुलना में बेहतर औसत वर्षा है. अनुकूल मौसम के कारण किसानों ने समय पर कृषि कार्य शुरू कर दिया था. साथ ही सरकार, जिला प्रशासन और संबंधित विभागों द्वारा उर्वरकों की समयबद्ध आपूर्ति ने किसानों की मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. परिणामस्वरूप, इस खरीफ सीजन में अब तक यूरिया की आमद सुचारू रूप से बनी हुई है. कहीं भी उर्वरक की कमी नहीं है.  

वाराणसी में संस्थावार उर्वरक बिक्री केंद्र की संख्या

  • सहकारिता -93
  • इफको -38
  • पीसीएफ़ -2
  • निजी -566
  • कुल बिक्री केंद्र की संख्या-699

जिला कृषि अधिकारी संगम सिंह ने किसानों से अपील की है कि वैज्ञानिक संस्तुतियों के अनुसार ही उर्वरकों का प्रयोग करें. आवश्यकता से अधिक उर्वरकों का प्रयोग करने से मिट्टी एवं पर्यावरण के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. साथ ही साथ खेती की लागत में भी वृद्धि होती है.

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