Plastic Bag: आज, 3 जुलाई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस के मौके पर हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों प्लास्टिक बैग पूरी दुनिया के लिए विलेन बन गए हैं और ये सुविधा अब कैसे आफत का सबब बन चुकी है। लगभग रोज ही हम लोग कुछ न कुछ खरीदने के लिए बाजार जाते हैं और दुकानदार हमें सामान देने के लिए एक प्लास्टिक बैग थमा देता है। ये प्लास्टिक बैग हमारी जिंदगी का इतना आम हिस्सा बन गया है कि हमने कभी सोचा ही नहीं कि ये छोटा सा बैग हमारी धरती और समंदर के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकता है।
प्लास्टिक बैग की शुरूआत
स्वीडन की एक कंपनी नेलोप्लास्ट ने 1960 के दशक में पॉलीथीन से बने हल्के, सस्ते और टिकाऊ बैग्स बनाए। उस वक्त ये बैग्स सुविधा का प्रतीक थे। ये कागज के थैलों से सस्ते थे, पानी में खराब नहीं होते थे और इनको बनाना भी काफी आसान था। देखते ही देखते पूरी दुनिया में ये बैग्स छा गए। लेकिन यही सुविधा धीरे-धीरे एक वैश्विक संकट में बदल गई।
महज 1-3% प्लास्टिक बैग्स ही होते हैं रिसाइकिल
प्लास्टिक बैग्स न तो आसानी से गलते हैं और न ही पूरी तरह रिसाइकिल हो पाते हैं। वैश्विक स्तर पर केवल 1-3% प्लास्टिक बैग्स ही रिसाइकिल होते हैं। बाकी या तो लैंडफिल्स में जमा हो जाते हैं या फिर नदियों और समंदर में पहुंचकर तबाही मचाते हैं। ये बैग्स समुद्री जीवों जैसे कछुओं, मछलियों और व्हेल के लिए जानलेवा साबित होते हैं। प्लास्टिक बैग्स की वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है।
कैसे बन गया जीवन का हिस्सा?
पानी की बोतलें, डिस्पेन्सरर्स, बिस्किट ट्रे जैसी वन यूज़ प्लास्टिक की चीज़ें पॉलीएथिलीन टेरेफ्थैलेट नामक केमिकल से बनती हैं. शैम्पू की बोतलें या पाउच, दूध की थैलियां, फ्रीज़र बैग्स और आइस्क्रीम के कंटेनर हाई डेंसिटी पॉलीएथिलीन से बनते हैं. इसके अलावा फूड पैकेजिंग, बोतलों के ढक्कन, कटलरी, प्लेट, कप, चीज़ों को सुरक्षित रखने वाली पैकेजिंग जैसे सामान घातक कैमिकल्स से बनते हैं, जो हमारे इस्तेमाल के लिए तो खतरनाक हैं ही, जब फेंके जाते हैं तो पूरे पर्यावरण के लिए घातक साबित होते हैं।
प्लास्टिक बैग्स से निजात पाने के लिए क्या करें?
प्लास्टिक बैग्स से निजात पाने के लिए छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं। सबसे आसान तरीका है कपड़े या जूट के थैले इस्तेमाल करना। ये न सिर्फ पर्यावरण के लिए अच्छे हैं, बल्कि टिकाऊ और स्टाइलिश भी हैं। आप पुराने कपड़ों से घर पर भी थैला बना सकते हैं। इसके अलावा, दुकानदारों को प्लास्टिक बैग्स देने से मना करें और अपने थैले साथ ले जाएं। स्कूलों और मोहल्लों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को प्रेरित करें।
भारत में प्लास्टिक बैग्स की वजह से भारी मुसीबत
भारत के शहरों में नालियां और सीवर सिस्टम अक्सर प्लास्टिक बैग्स की वजह से जाम हो जाते हैं। मॉनसून के दौरान मुंबई जैसे शहरों में बाढ़ का एक बड़ा कारण यही प्लास्टिक कचरा है। ये बैग्स बारिश का पानी निकलने से रोकते हैं, जिससे सड़कों पर जलभराव हो जाता है। इसके अलावा, जब सूरज की रोशनी में प्लास्टिक बैग्स टूटते हैं, तो वे माइक्रोप्लास्टिक्स में बदल जाते हैं। ये इतने छोटे कण होते हैं कि मछलियां इन्हें खा लेती हैं, और फिर ये हमारी खाने की थाली तक पहुंच जाते हैं।
इसे भी पढ़ें:-अमरनाथ यात्रा में बाबा के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु, CCTV और ड्रोन से की जा रही निगरानी