क्या धुंधली होती जा रही हैं नजरें? पहचानें आंखों में मोतियाबिंद के लक्षण

Health tips: आंखें हमारे शरीर का जरूरी अंग हैं. इन्‍हीं से हम इस खूबसूरत दुनि‍या को देख पाते हैं. लेक‍िन हमारी खराब लाइफस्‍टाइल के कारण हमारी आंखों को भी गंभीर रूप से नुकसान कर रहा है. जब नजरें धीरे-धीरे धुंधली होने लगें तो समझ जाइए यह सामान्य कमजोरी नहीं, बल्कि किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है. अक्सर लोग चश्मे की संख्या बढ़ने या थकान को जिम्मेदार मानते हैं, जबकि असली वजह मोतियाबिंद भी हो सकती है. दरअसल यह आंखों की एक आम लेकिन खतरनाक बीमारी है, जिसमें लेंस धीरे-धीरे धुंधला हो जाता है और साफ देखने की क्षमता कम होने लगती है.

मोतियाबिंद के प्रमुख लक्षण
  • आंखों के सामने धुंधला या धुंध-सा दिखना
  • रोशनी या बल्ब की चमक ज्यादा चुभना
  • रंग फीके या धुंधले नजर आना
  • रात में गाड़ी चलाने में परेशानी
  • पढ़ने-लिखने में लगातार धुंधलापन
  • बार-बार चश्मे का नंबर बदलना
मोतियाबिंद के कारण
  • वृद्धावस्था: वृद्धावस्था में आंखों के लेंस की संरचना में बदलाव आते हैं जिससे मोतियाबिंद हो सकता है.
     
  • डायबिटीज: डायबिटीज के मरीजों में मोतियाबिंद होने का जोखिम अधिक होता है.
     
  • आंखों में चोट: किसी भी प्रकार की आंखों में चोट या सर्जरी मोतियाबिंद का कारण बन सकती है.
     
  • दवाइयों का दुष्प्रभाव: स्टेरॉयड जैसी कुछ दवाइयों के लंबे समय तक उपयोग से मोतियाबिंद हो सकता है.
     
  • आनुवंशिकता: अगर परिवार में किसी को मोतियाबिंद हुआ हो, तो यह रोग अन्य सदस्यों में भी होने की संभावना होती है.
मोतियाबिंद का इलाज
  • प्रारंभिक चरण में – डॉक्टर चश्मे या दवाओं से मदद कर सकते हैं
  • अग्रिम चरण में – इसका एकमात्र प्रभावी इलाज सर्जरी है, जिसमें धुंधला लेंस हटाकर एक कृत्रिम लेंस लगाया जाता है. यह सर्जरी सुरक्षित और सफल मानी जाती है.
मोतियाबिंद से बचाव कैसे करें?
  • धूप से बचाव: सूरज की हानिकारक यूवी किरणों से बचने के लिए सनग्लासेस पहनें.
     
  • संतुलित आहार: विटामिन C और E, जिंक और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर आहार लें जो आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं.
     
  • धूम्रपान से बचें: धूम्रपान मोतियाबिंद के जोखिम को बढ़ा सकता है, इसलिए इसे छोड़ें.
     
  • नियमित आंखों की जांच: नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं ताकि किसी भी प्रकार की समस्या को समय रहते पहचाना और इलाज किया जा सके.

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