Chandra grahan 2025: पूर्ण चंद्र ग्रहण रविवार, 7 सितंबर को लगने जा रहा जो भारत में भी दिखाई देगा. इससे पहले महाराष्ट्र में 2018 में पूर्ण चंद्र ग्रहण देखे गए थे. 7 साल बाद ये मौका फिर आया है इसलिए वैज्ञानिकों में भी इसे लेकर उत्साह है
एएसआई के अध्यक्ष दिव्या ओबेरॉय ने बताया कि ग्रहण दुर्लभ होते हैं. यह हर पूर्णिमा या अमावस्या को नहीं होते, क्योंकि चंद्रमा की कक्षा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा से 5 डिग्री झुकी है. चंद्र ग्रहण तब होता है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और चंद्र सतह पर अपनी छाया डालती है.
उपछाया ग्रहण 7 सितंबर को रात 8:58 बजे शुरू होगा
पीओईसी के अनुसार, उपछाया ग्रहण 7 सितंबर को रात 8:58 बजे शुरू होगा. पृथ्वी की आंतरिक अंधेरी छाया को अंब्रा और धुंधली बाहरी छाया को उपछाया कहा जाता है. जैसे ही चंद्रमा अंब्रा में प्रवेश करता है, हमें सबसे पहले आंशिक ग्रहण दिखाई देता है.
पूर्ण ग्रहण रात 11:01 से 12:23 बजे तक
पूर्ण ग्रहण रात 11:01 बजे से रात 12:23 बजे तक रहेगा. इसकी अवधि 82 मिनट होगी. आंशिक चरण रात 1:26 बजे और ग्रहण 8 सितंबर को सुबह 2:25 बजे समाप्त होगा. बंगलूरू स्थित जवाहरलाल नेहरू तारामंडल की पूर्व निदेशक बीएस शैलजा ने बताया कि जब चंद्रमा पूरी तरह से छाया में होता है तो वह आकर्षक तांबे के रंग जैसा लाल हो जाता है.
भारत में कहां कहां दिखेगा चंद्रग्रहण
- उत्तर भारत: दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर, लखनऊ
- पश्चिम भारत: मुंबई, अहमदाबाद, पुणे
- दक्षिण भारत: चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोच्चि
- पूर्व भारत: कोलकाता, भुवनेश्वर, गुवाहटी
- सेंट्रल भारत: भोपाल, नागपुर, रायपुर
नंगी आंखों, दूरबीन या टेलीस्कोप से देख सकेंगे
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बंगलूरू के विज्ञान, संचार, जनसंपर्क एवं शिक्षा (स्कोप) अनुभाग के प्रमुख निरुज मोहन रामानुजम ने कहा कि उपछाया ग्रहण (चंद्रमा पृथ्वी की हल्की छाया से ढक जाता है) को बिना सहायता आंखों से देखना कठिन होता है. इसके लिए दूरबीन या टेलीस्कोप की जरूरत होती है. आंशिक ग्रहण (पृथ्वी की छाया चंद्रमा के एक हिस्से को ढक लेती है) बिना किसी सहायता के आसानी से देख सकते हैं. सूर्य ग्रहण के विपरीत पूर्ण चंद्र ग्रहण देखने के लिए विशेष उपकरणों की जरूरत नहीं है. इसे नंगी आंखों, दूरबीन या टेलीस्कोप से देखा जा सकता है. आंशिक ग्रहण 7 सितंबर को रात 9.57 बजे से देखा जा सकता है.
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
वैज्ञानिक दृष्टि से ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन हिंदू धर्म में इसे धार्मिक परंपराओं के साथ जोड़ा गया है. इस दौरान लोग पूजा-पाठ, मंत्र जाप और दान-पुण्य करते हैं. कई श्रद्धालुओं के लिए यह समय विशेष आस्था और आध्यात्मिक साधना का माना जाता है.
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