किये गये पुण्य कर्म अन्तकाल में याद नहीं आते हैं: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि मानव का अन्तकाल बहुत कष्टदायक होता है। उस समय यदि पुण्य का स्मरण हो और तीर्थ में किए गये प्रभु के दर्शन की झांकी सामने आ जाये तो जीव को खूब शान्ति मिलती है। और यदि उसे समय पाप याद आयें तो उनके भयानक फल से भयभीत होकर जीव एकदम घबरा जाता है। उस समय उसकी वेदना का कोई पर नहीं रहता।

मनुष्य जब पुण्य कर्म करता है, तब वह अभियान में इतना चूर रहता है कि उस गाफिल अवस्था में किये गये पुण्य कर्म अन्तकाल में याद नहीं आते हैं। उसको तो सारी जिंदगी में पूरी सावधानी से और एकाग्रता पूर्वक किये गये पापों की ही याद आती है और उससे वह घबरा जाता है, तथा शान्ति खो बैठता है।

ऐसी परिस्थिति में ईश्वर का नाम स्मरण मृत्यु को सुधारने वाला और अन्तकाल का साथी बनता है। भागवत प्रभु के प्रति प्रेम जागृत कर जीव को भगवान का बनाता है, जिससे उसके अन्तकाल की घड़ियाँ कष्टमय नहीं बनती। परोपकार करते समय मन में अभिमान न आ जाय  – इसका ध्यान रखो।

सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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