Diwali Puja Vidhi: हिन्दू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दिवाली भी है. इस साल कार्तिक मास की अमावस्या 20 अक्टूबर को शुरू होकर 21 अक्टूबर को समाप्त होगी, इसलिए दीवाली 20 अक्टूबर को मनाई जा रही है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है.
हालांकि इस साल दिवाली पर शीर्ष न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में कुछ शर्तों के साथ पटाखे बेचने और फोड़ने की अनुमति दे दी है. बता दें कि दिवाली एक ऐसा त्योहार है, जो भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता.
इन देशों में भी मनाई जाती है दिवाली
भारत में दिवाली पांच दिनों तक चलने वाला एक विशाल उत्सव है, जिसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल हैं. भारत के अलावा नेपाल में दिवाली को ‘तिहार’ के नाम से जाना जाता है. श्रीलंका और मॉरीशस के लोग इस त्योहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं. इसके अलावा, सिंगापुर, मलेशिया, फिजी, त्रिनिदाद और टोबैगो और गुयाना कैरेबियन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी भारतीय आबादी होने के वजह से दीवाली बड़े पैमाने पर मनाई जाती है.
कब है दीवाली पूजा का शुभ मुहूर्त?
दिवाली पर पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल में 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 08 बजकर 18 मिनट तक है. प्रदोष काल में पूजा के लिए शुभ समय शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर 08 बजकर 18 मिनट तक है. इसके साथ ही वृषभ काल में पूजा के लिए शुभ समय शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 09 बजकर 03 मिनट तक है. इसके अलावा, निशिता काल में देवी मां लक्ष्मी की पूजा का समय रात 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक है. साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर देवी मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं.
दीपावली पूजन के नियम
पूजा से पहले पूरे घर की साफ-सफाई करें, विशेषकर पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें. पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की नई प्रतिमा स्थापित करें. ध्यान रहे कि गणेश जी लक्ष्मी जी के दाईं ओर हों. चावल या गेहूं के ऊपर एक मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें. पूजा से पहले घर के मुख्य द्वार पर और आंगन में दीये जलाएं.
पूजा में क्या बरतें सावधानी?
जानकारों के मुताबिक, दीपावली पर लक्ष्मी, गणेश व कुबेर के पूजन में विशेष सावधानी रखनी चाहिए. बता दें कि स्नान के बाद शुद्ध व सफेद वस्त्र धारण करें. फिर चौकी पर लक्ष्मी, गणेश व कुबेर की मूर्ति को रखकर उसमें मौली बांधे. फिर चौकी पर छह चौमुखे व 26 छोटे घी के दीपक जलाएं. इसके बाद देवताओं को गंगाजल से स्नान कराने के बाद रोली, अक्षत, मिष्ठान, धूप, धान का लावा, मधु, सफेद मेवा, दीप आदि अर्पित करें.
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